पटना। बिहार के प्राइवेट स्कूलों से सात लाख से ज्यादा बच्चे एक साल के अंदर लापता हो गए हैं। ई-शिक्षा कोष पर डाले गए 2 साल के रिकॉर्ड से इसका राज खुला है। एक साल में 31 लाख का आंकड़ा 23 लाख पर आया गया। साल 2023-24 में बिहार के प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का […]
पटना। बिहार के प्राइवेट स्कूलों से सात लाख से ज्यादा बच्चे एक साल के अंदर लापता हो गए हैं। ई-शिक्षा कोष पर डाले गए 2 साल के रिकॉर्ड से इसका राज खुला है। एक साल में 31 लाख का आंकड़ा 23 लाख पर आया गया। साल 2023-24 में बिहार के प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का आंकड़ा 31 लाख 15 हजार था।
वहीं 2024-25 में ई-शिक्षा कोष पर आंकड़ा लगभग 23 लाख बच्चों का दिया गया है। ई-शिक्षा कोष के आधार पर पहली बार निजी स्कूलों के बच्चों का रिकॉर्ड लिया गया है। इससे दोहरे नामांकन के साथ-साथ फर्जीवाड़े नामांकन का खुलासा हुआ है। इसके साथ ही कई तरह की और गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। शिक्षा विभाग की तरफ से दी गयी जानकारी के मुताबिक बिहार के निजी स्कूलों से केवल सात लाख बच्चे लापता ही नहीं हुए हैं, बल्कि जिन बच्चों का नाम दाखिला रजिस्टर पर दर्ज किया गया है।
उनमें कई बच्चों के नाम के साथ उनका आधार नंबर भी दर्ज नहीं है। ऐसे बच्चों की संख्या कुल बच्चों की संख्या का 25 प्रतिशत से अधिक बताया जा रहा है। जिन 23 लाख बच्चों की संख्या बिहार के 38 जिलों से दी गई है, इनमें भी 6 लाख बच्चे बिना आधार के ही नामांकन वालों की सूची में दर्ज हैं। ऐसे में इन बच्चों के दोहरे नामांकन की संभावना भी शिक्षा विभाग को है। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पूर्णिया, नवादा, मुजफ्फरपुर समेत 7 जिलों में 30 से 50 तक बच्चे लापता हो गए है।
दोहरे नामांकन और नामांकन में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए शिक्षा विभाग ने आधार के साथ ही निजी स्कूलों को भी बच्चों की सूची ई-शिक्षा कोष पर डालने का निर्देश दिया था। प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की संख्या एक साल में कम होने पर सवाल यह कि अगर यह दोहरा नामांकन नहीं है तो ये बच्चे गए कहां। सरकारी स्कूलों में भी बच्चों की संख्या बढ़ने की बजाए एक साल में घटी ही है। सरकारी स्कूलों में 2 करोड़ से अधिक बच्चों का आंकड़ा पौने दो करोड़ पर आकर रुक गया है।