NDA हो या इंडिया… नीतीश सबके हैं, नरेंद्र मोदी के खिलाफ असली खेला तो बिहार में होगा?

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पटना। लोकसभा चुनाव के नतीजों से निश्चित तौर पर BJP को घोर निराशा होगी। हालांकि बिहार में भाजपा के सहयोगी दलों को उसके साथ का फायदा होता दिख रहा है। चुनाव के दौरान सत्ताधारी एनडीए और प्रतिपक्ष के बीच खूब जुबानी जंग हुई। हिन्दू, मुसलमान, संविधान, मंदिर,पाकिस्तान, आरक्षण, मंगलसूत्र से लेकर मुजरा तक नेताओं के चुनावी भाषणों में छाए रहे। भीषण गर्मी में बूढ़े से लेकर युवा नेताओं तक ने खूब पसीने बहाए। बीच में कुछ बीमार बड़े तो कई ऐसे रहे, जिन्हें सर्दी-खांसी तक नहीं हुई। चुनाव प्रचार शुरू होते ही ममता बनर्जी चोटिल हुईं तो बीच चुनाव में तेजस्वी यादव के पांव में मोच आ गई। कहते हैं कि पांव के मोच ने उन्हें कमर तक दर्द दिया। रैलियों, रोड शो और सभाओं के हर दल के नेताओं ने कीर्तिमान गढ़े। सर्वाधिक दौरों का पीएम नरेंद्र मोदी ने रिकार्ड बनाया तो ममता बनर्जी ने सबसे अधिक हेलीकॉप्टर उड़ाने का कीर्तिमान बनाया।

पाला बदलेंगे नीतीश कुमार?

NDA नेताओं ने मोदी के कामों को आगे बढ़ाने के वादे किए तो प्रतिपक्षी नेताओं ने महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे पर फोकस किया। इसे लेकर सत्ता पक्ष की खिंचाई की। उत्तर प्रदेश और बिहार दो ऐसे राज्य रहे हैं, जिनके बारे में पुरानी धारणा रही है कि यहीं से दिल्ली का रास्ता जाता है। बिहार ने अपना एजेंडा सेट कर दिया। नीतीश ने विपक्षी गठबंधन की बुनियाद तो रखी, लेकिन उससे अलग हो गए। अब फिर उनके बारे में अनुमान लगाए जा रहे हैं कि वे बदले हालात में पाला बदल सकते हैं।

पाला बदलने के माहिर खिलाड़ी हैं नीतीश

यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि नीतीश पाला बदल के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। 2013 में नरेंद्र मोदी को पीएम फेस बनाए जाने परह उन्होंने एनडीए छोड़ दिया था। 2017 में वे एनडीए के साथ आए, पर 2022 में उन्हें फिर आरजेडी आकर्षित करने लगा। हालांकि 17 महीने बाद ही उन्होंने एनडीए का दामन थाम लिया था। उनके सियासी इतिहास को देखते हुए अब ये कयास लगने हैं कि भाजपा की कमजोरी को देखते हुए क्या वे फिर इसका फायदा उठाएंगे। अगर ऐसा होता है कि तेजस्वी की बात सही हो जाएगी।