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MadhuShravani: मिथिलांचल की अनोखी परंपरा, पहले सावन में नई दुल्हन को करना होगा मधुश्रावणी का उपवास

पटना। मिथिलांचल के लोकापर्व में सुहागिन महिलाओं द्वारा एक अनोखा पर्व मनाया जाता है जिसे मधुश्रावणी व्रत कहा जाता है। मधुश्रावणी पर्व श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि सोमवार से शुरू हो रहा है। यह पर्व 18 से 31 जुलाई तक चलेगा। मधुश्रावणी के व्रत के साथ अग्निपरीक्षा भी देनी होती है इस […]

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MadhuShravani: A unique tradition of Mithila, the new bride has to fast on MadhuShravani in the first Sawan
  • July 6, 2024 7:58 am IST, Updated 9 months ago

पटना। मिथिलांचल के लोकापर्व में सुहागिन महिलाओं द्वारा एक अनोखा पर्व मनाया जाता है जिसे मधुश्रावणी व्रत कहा जाता है। मधुश्रावणी पर्व श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि सोमवार से शुरू हो रहा है। यह पर्व 18 से 31 जुलाई तक चलेगा।

मधुश्रावणी के व्रत के साथ अग्निपरीक्षा भी देनी होती है

इस पर्व में मिथिला की नई दुल्हनों को अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास करना होता है। यह उपवास माता गौरी और भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। इस दिन भगवान शंकर और माता गौरी की पूजा- अर्चना की जाती है। पूरे 14 दिन चलने वाले इस व्रत में बिना नमक का भोजन खाया जाता है। इस पूजा में पंडितों की भूमिका भी महिलाएं ही अदा करती हैं। इस अनुष्ठान के पहले और अंतिम चरण में बड़े विधि-विधान से साथ पूजा की जाती है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दौरान माता पार्वती की पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है। इसके साथ ही इस पर्व की अनोखी परंपरा भी मिथिला में देखने को मिलती है। नई दुल्हन जो पहले सावन में पति के लिए उपवास करती है वे उनकी अग्निपरीक्षा भी लेती हैं।

अग्निपरीक्षा में दुल्हन का जलाया जाता है घुटना

बिहार के मिथिलांचल में प्यार का पता लगाने के लिए एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है जिसमें महिला को अग्निपरीक्षा देनी होती हैं। जिसमे महिला का घुटना जलाया जाता है। पति अपनी पत्नी के घुटने पर पूजा घर में रखे गए दीपक की बाती से प्यार के साथ उसका घुटना जलाता है। इससे दोनों का करुण सार देखने को मिलता है।जब महिला को जलाया जात है। वह उफ्फ तक नहीं करती। ऐसा माना जाता है कि इस परीक्षा में विवाहिता के घुटने में जितना बड़ा फफोला पड़ता है। पति-पत्नी का प्यार उतना ही गहरा होता है।


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