पटना : शादी एक पवित्र बंधन हैं। दो परिवारों के रिश्ते मिलने से शादी जैसा पवित्र रिश्ता बनता हैं। इस रिश्ते में दो परिवार बंध जाते हैं. विवाह के बाद अक्सर आपने देखा होगा कि नवविवाहिता कभी ससुराल तो कभी मायका का रुख करती है। लेकिन कुछ ऐसे समय व महीनें होते हैं जिनमें आपको […]
पटना : शादी एक पवित्र बंधन हैं। दो परिवारों के रिश्ते मिलने से शादी जैसा पवित्र रिश्ता बनता हैं। इस रिश्ते में दो परिवार बंध जाते हैं. विवाह के बाद अक्सर आपने देखा होगा कि नवविवाहिता कभी ससुराल तो कभी मायका का रुख करती है। लेकिन कुछ ऐसे समय व महीनें होते हैं जिनमें आपको अपने मायके नहीं जाने चाहिए। अगर आप इसे नहीं मानते हैं और आप अपने मायके पहुंचते हैं तो इसका सीधा असर आपके पिता पर पड़ता हैं। इसका उल्लेख हिंदू धर्म के एक पौराणिक मार्तण्ड धर्म ग्रंथ में किया गया है।
इस संबंध में तमाम ज्योतिषाचार्य का कहना है कि शादी के पहले साल नवविवाहिता दंपति और उनके परिवार वालों को कई बातों को ध्यान रखना चाहिए. अगर आप इन बातों को ध्यान में रखेंगे तो आपके ससुराल और मायके पक्ष पर आने वाली परेशानी समाप्त हो सकती है.
ज्योतिष शास्त्र से जुड़े मुहूर्त मार्तण्ड के मुताबिक, शादी के बाद पहले चैत्र माह में किसी भी नवविवाहित बेटी को अपने मायके में नहीं ठहरना चाहिए. इसका सीधा असर उसके पिता पर पड़ता है. मायके में इस कारण से हानि हो सकती है। यदि चैत्र माह में बेटी ससुराल से मायके आ जाए तो पिता को मानसिक और शारीरिक परेशानी होती हैं. इसके साथ-साथ उन्हें आर्थिक समस्या भी हो सकती है. इतना ही नहीं ऐसे हालात में उनके परिवार में आपसी रिश्ते भी खराब होने लगते है. इस वजह से नवविवाहिता को शादी के पहले साल के अंदर पड़ने वाले चैत्र महीना में अपने मायके गलती से भी नहीं जाना चाहिए.