पटना। कोलकाता में रेप के बाद मेडिकल छात्रा की हत्या के बाद पूरे देश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। पटना एम्स के अतिरिक्त न्यू गार्डिनर रोड, एलएनजेपी हड्डी अस्पताल व गर्दनीबाग अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था बंद रही। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण ओपीडी सेवाएं बंद रही। इमरजेंसी सेवा बाधित रही और साथ […]
पटना। कोलकाता में रेप के बाद मेडिकल छात्रा की हत्या के बाद पूरे देश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। पटना एम्स के अतिरिक्त न्यू गार्डिनर रोड, एलएनजेपी हड्डी अस्पताल व गर्दनीबाग अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था बंद रही। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण ओपीडी सेवाएं बंद रही। इमरजेंसी सेवा बाधित रही और साथ ही मरीजों का ऑपरेशन भी नही किया गया।
हड़ताल के दिन ओपीडी में लगभग 11 हजार मरीज बिना इलाज के वापस लौट गए। 154 से ज्यादा मरीजों के ऑपरेशन टाल दिये गए। बाद में आइजीआइएम और पीएमसीएच में डॉक्टर काम पर वापस लौट आए, लेकिन शनिवार को भी इमरजेंसी छोड़ कर ओपीडी व अन्य विभागों में जूनियर डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। आइजीआइएमएस और पीएमसीएच में रेजिटेंड और इंटर्न डॉक्टर इंसाफ की मांग करने के लिए धरने पर बैठे रहें। आइजीआइएमएस में सुबह लगभग साढ़े आठ बजे आम जनता के लिए ओपीडी खोली गई। मरीजों से पहले रजिडेंट डॉक्टर इलाज के लिए आए। मरीज पर्चा जांच और शुल्क जमा करने के लिए अलग-अलग लाइनों में खड़े रहें। काउंटर पर बैठे कर्मचारियों ने पर्चा बनाने का काम शुरू किया। तो वहीं रेजिडेंट डॉक्टरों ने प्रदर्शन जारी रखा। प्रदर्शन बढ़ने के बाद ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई। इतना ही नहीं, जैसे ही उन्हें मेन गेट से मरीजों के आने की सूचनी मिली। सभी डॉक्टर्स मेन गेट पर इकट्ठा हो गए और मुख्य द्वार को बंद करना पड़ा। इससे ओपीडी व इमरजेंसी मरीजों का अस्पताल में आना बंद कर दिया।
अस्पताल वाले रोड पर जाम लग गया। बढ़ते जाम को देखते हुए शास्त्रीनगर और ट्रैफिक थाने की पुलिस को इस बात की सूचना दी गई। सूचना मिलते ही पहुंची मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद जाम हटाया गया। आइजीआइएमएस में इंटर्न डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाओं को बंद कर दिया। डॉक्टरों ने मेन गेट को बंद किया और धरने पर बैठ गए। छात्र-छात्राओं ने एप्रेन को लाल रंग में रंग पेड़ पर लटका दिया और विरोध प्रदर्शन किया। 12 घंटे तक इमरजेंसी पूरी तरह से बंद रही। इस दौरान 65 से अधिक मरीजों को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा। इमरजेंसी वार्ड से कैंटीन तक आधा दर्जन एंबुलेंस में गंभीर मरीज थे, लेकिन इंटर्न डॉक्टरों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा। सभी परिजन अपने गंभीर मरीजों को लेकर निजी अस्पतालों में चले गए।