पटना। बिहार से जुड़ी हुई एक सनसनी खेज डेटा सामने आया है। बताया जा रहा हा कि इस साल जनवरी से अगस्त माह के बीच करीब 5958 बच्चे गायब हुए हैं, जिसमें से 5117 लड़कियां जबकि 841 लड़के हैं। इन गायब बच्चों में 85 प्रतिशत लड़कियां शामिल हैं। पुलिस ने इनमें अबतक इनमें से 383 […]
पटना। बिहार से जुड़ी हुई एक सनसनी खेज डेटा सामने आया है। बताया जा रहा हा कि इस साल जनवरी से अगस्त माह के बीच करीब 5958 बच्चे गायब हुए हैं, जिसमें से 5117 लड़कियां जबकि 841 लड़के हैं। इन गायब बच्चों में 85 प्रतिशत लड़कियां शामिल हैं। पुलिस ने इनमें अबतक इनमें से 383 लड़कों और 2416 लड़कियों को बरामद किया है। वहीं राज्य से गायब हुए 3145 बच्चे अब भी लापता हैं। इस बात की जानकारी शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने दी है।
इस दौरान एडीजी ने बताया कि बिहार पुलिस बच्चों के गायब या किडनैप होने की गंभीरता से जांच कर रही है। बच्चों को बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से भी बरामद किया गया है। यही नहीं पुलिस गुमशुदगी के कारणों की पड़ताल भी कर रही है। लापता हुए बच्चे बिहार से किस राज्य में गए या ले जाए गए हैं? इन लापता बच्चों के गायब होने के पीछे क्या उद्देश्य था, इस पर विश्लेषण किया जा रहा है।
वहीं हर माह की 15 और 16 तारीख को थाना स्तर पर किडनैप हुए एवं गुमशुदा हुए बच्चों के घर जाकर उनके संबंध में अभिभावकों से संपर्क कर भौतिक सत्यापन का विशेष अभियान चलाने का आदेश जारी किया गया है। एडीजी मुख्यालय ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर चाइल्ड इंडिया फॉउंडेशन और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चाइल्डलाइन सेवा का संचालन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत आपातकालीन सेवा नंबर 1098 संचालित किया गया है। इसके द्वारा ट्रैक द मिसिंग चाइल्ड डॉट जीओवी डॉट इन (trackthemissingchild.gov.in) वेब पोर्टल पर लगातार लापता, अगवा, बरामद बच्चों से संबंधित डेटा अपलोड किया जाता है। बिहार पुलिस के अपराध अनुसंधान विभाग के कमजोर वर्ग के द्वारा राज्य से जुड़े मामलों की देख -रेख की जाती है।
इसके अलावा पुलिस मुख्यालय के अनुसार, हर जिले में चाइल्डलाइन सेवा के संचालन के लिए जिला समाहर्ता की अध्यक्षता में चाइल्डलाइन एडवाइजरी बोर्ड भी गठित है। इसमें संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक इसके सदस्य हैं। वहीं प्रत्येक थानाध्यक्ष अपने थाना क्षेत्र के किशोर कल्याण पदाधिकारी होते हैं। वहीं थानाध्यक्ष के न रहने पर प्रभार में रहने वाले पदाधिकारी किशोर कल्याण पदाधिकारी के रूप में कार्यभार संभालते हैं।