Rajendra Prasad Jayanti: राजेंद्र बाबू भी अपने नौकरों से मांगे थे माफी, जानें एक रुपये के सिक्के की पूरी कहानी

पटना: राजनीतिक जीवन में जब भी सादगी, सेवा और त्याग की बात होगी तो देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का नाम सबसे पहले आता है। 3 दिसंबर 1884 को जीरादेई में जन्मे डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्थानीय लोग “बाबू” कहकर संबोधित करते थे। राजेंद्र बाबू जब भी अपने गांव आते थे तो लोगों […]

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Rajendra Prasad Jayanti: राजेंद्र बाबू भी अपने नौकरों से मांगे थे माफी, जानें एक रुपये के सिक्के की पूरी कहानी

Shivangi Shandilya

  • December 3, 2024 4:35 am IST, Updated 1 day ago

पटना: राजनीतिक जीवन में जब भी सादगी, सेवा और त्याग की बात होगी तो देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का नाम सबसे पहले आता है। 3 दिसंबर 1884 को जीरादेई में जन्मे डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्थानीय लोग “बाबू” कहकर संबोधित करते थे। राजेंद्र बाबू जब भी अपने गांव आते थे तो लोगों से घुलते-मिलते थे. उनके बारे में कई ऐसी कहानियां हैं जिनके बारे में लोग आज भी नहीं जानते हैं। आज उनकी जयंती पर हम उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से जानेंगे।

एक रुपये की शिक्का का अनोखा कहानी

बता दें कि जब राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति थे तो उनकी बेटी उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंची थी. जब वह वापस जाने लगीं तो राजेंद्र बाबू ने अपने नाती को एक रुपया उपहार में दिए थे. जब राजेंद्र बाबू की पत्नी ने नाती के हाथ में एक रुपया देखा तो शिकायती लहजे में कहा कि आपने तो कमाल कर दिया. राजेंद्र प्रसाद ने कहा, क्या एक रुपया कम है, जितना मेरा वेतन है और जितने इस देश में बच्चे हैं, यदि सभी को एक-एक रुपया दूं, तो क्या मेरे वेतन से पूरा पड़ सकता है.

इस वजह से मांगनी पड़ी माफी

राजेंद्र प्रसाद के ग्रामिणों का उनके बारे में कहना है कि एक दिन सुबह उनके कमरे में झाड़ू लगाते समय राष्ट्रपति के पुराने नौकर तुलसी से हाथी की दांत से बनी पेन टूट गई। उन्हें वह पेन बहुत प्रिय था. उन्होंने गुस्से में तुलसी को काम छोड़ने के लिए कह दिया। लेकिन दिन भर उन्हें इस बात की याद आती रही कि उन्होंने तुलसी के साथ अन्याय किया है। काम से छुट्टी मिलते ही उन्होंने तुलसी को बुलाया और कहा, मुझे माफ कर दो। इसलिए देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के व्यक्तित्व को आज भी पूजा जाता है।

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