पटना। लोकसभा चुनाव के नतीजों से निश्चित तौर पर BJP को घोर निराशा होगी। हालांकि बिहार में भाजपा के सहयोगी दलों को उसके साथ का फायदा होता दिख रहा है। चुनाव के दौरान सत्ताधारी एनडीए और प्रतिपक्ष के बीच खूब जुबानी जंग हुई। हिन्दू, मुसलमान, संविधान, मंदिर,पाकिस्तान, आरक्षण, मंगलसूत्र से लेकर मुजरा तक नेताओं के चुनावी भाषणों में छाए रहे। भीषण गर्मी में बूढ़े से लेकर युवा नेताओं तक ने खूब पसीने बहाए। लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट करीब-करीब फाइनल हो गए हैं। मंगलवार सुबह 8 बजे शुरू हुई 542 (सूरत सीट बीजेपी निर्विरोध जीत चुकी है) वोटो की गिनती अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच चुकी है। खबर लिखे जाने तक इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के मुताबिक बीजेपी 241 सीटों पर बढ़त के साथ नंबर वन पार्टी बनकर सामने आई है। वहीं 98 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे नंबर की पार्टी बनकर सामने आई है। अगर ओवर ऑल गठबंधन के तौर पर बात करें तो एनडीए गठबंधन 294 सीटों पर और इंडिया गठबंधन 232 सीटों पर आगे है। 17 सीटों पर अन्य इन दोनों गठबंधन से अलग राजनीतिक पार्टियां बढ़त बनाए हुए है। लेकिन नीतीश अगर पाला बदलते है तो प्रदेश ही नहीं देश में बड़ा खेला हो सकता है।
डिप्टी पीएम का मिला ऑफर
सूत्रों के मुताबिक बिहार के मुखिया और जनता दल (यूनाईटेड) के चीफ नीतीश कुमार से कांग्रेस के नेताओं ने संपर्क साधा है. बताया गया कि नीतीश कुमार को उप प्रधानमंत्री के पद का ऑफर दिया गया है. सपा के एक ने इसके बारे में X पर पोस्ट किया और कहा कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में वापसी करेंगे. सपा नेता के ट्वीट ने ऐसे वक्त में चर्चा बटोरी है, जबकि NDA 300 सीटों के आंकड़े को पार करने के लिए संघर्ष कर रही है. SP के आई.पी. सिंह ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि ‘नीतीश हमारे थे, हमारे हैं और हमारे ही रहेंगे. जय सीता राम.’ इस बात की खबर भी है कि शरद पवार ने नीतीश कुमार को फोन करके बात की है.हालांकि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने साफ मना कर दिया कि नीतीश कुमार से उनकी कोई बातचीत हुई है. कहा गया कि बीजेपी को अकेले बहुमत नहीं मिलने के बाद सरकार बनाने को लेकर कवयाद शुरू हो गई है. पहले कहा गया कि शरद पवार ने नीतीश कुमार को उप प्रधानमंत्री पद का ऑफर और चंद्रबाबू नायडू को आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू) के नेतृत्व के संपर्क में है. कहा गया कि खास तौर पर लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार से संपर्क किया गया है.
एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन बना सकता है सरकार
लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट को देखें तो पहली नजर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार बनती हुई दिख रही है। वहीं ध्यान से देखें तो पता चलता है कि देश के वोटरों ने ऐसा जनादेश दिया है, जिसमें एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों सरकार बनाने में सक्षम है। दरअसल, बीजेपी का अकेले दम पर 241 सीटों पर आगे है। यानी वह बहुमत के नंबर 272 से 31 सीटों से पीछे है। ऐसे में बीजेपी को केंद्र लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए एनडीए गठबंधन के घटक दलों पर निर्भर होना होगा। बस यही वह वजह है जिससे एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन सरकार बनाने में सक्षम दिख रहा है।
कही चिराग न कर दे खेला!
दूसरी तरफ बिहार में NDA गठबंधन के एक अन्य घटक दल एलजेपी (आर) के भी सभी 5 उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। एलजेपी आर के प्रमुख चिराग पासवान अगर अपने पिता रामविलास पासवान के नक्शेकदम पर चलते हुए पाला बदलकर इंडिया गठबंधन में शामिल होते हैं तो यह बीजेपी की मुश्किलें और भी बढ़ाने वाली हो सकती है। वहीं एनडीए के एक और अन्य घटक दल जीतन राम मांझी भी गया से चुनाव जीतते हुए दिख रहे हैं। यानी जेडीयू की 14, एलजेपी आर की 5 और हम के एक सांसद इंडिया गठबंधन में चले जाते हैं तो एनडीए से सीधे-सीधे 20 सांसद कम हो जाएंगे। ऐसे में अभी के रुझान एनडीए के 294 सीटों को आधार माने तो यह गठबंधन बहुमत के बिल्कुल मुहाने पर पहुंच जाएगा। यानी इस हिसाब से देखें तो 2024 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सत्ता उत्तर प्रदेश के बजाय बिहार से तय होती दिख रही है।
बिहार तय करेगा देश का मुखिया
लोकसभा चुनाव के पकिणाम पर नजर डालें तो बिहार का चुनाव परिणाम काफी मायने रखता है। दरअसल, बिहार में सारे अपेक्षाओं को धता बताते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है। सीट बंटवारे में बीजेपी ने जेडीयू को अपने से एक कम 16 सीटें दी थी, जिसमें से यह पार्टी 14 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं 17 सीटों पर प्रत्याशी उतारने वाली बीजेपी केवल 12 सीटों पर आगे है। इस वक्त जेडीयू एनडीए का घटक दल है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इंडिया गठबंधन की तरफ से उन्हें डेप्युटी पीएम का पद ऑफर किया गया है। यहां याद दिला दें कि इंडिया गठबंधन नीतीश कुमार के प्रयास से ही तैयार हुआ है। हालांकि चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने पाला बदलकर एनडीए गठबंधन का दामन थाम लिया था। अब अगर एक बार फिर से नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाते हैं तो एनडीए गठबंधन के लिए बहुमत का नंबर हासिल करना मुश्किल हो सकता है।
पाला बदलेंगे नीतीश कुमार?
NDA नेताओं ने मोदी के कामों को आगे बढ़ाने के वादे किए तो प्रतिपक्षी नेताओं ने महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे पर फोकस किया। इसे लेकर सत्ता पक्ष की खिंचाई की। उत्तर प्रदेश और बिहार दो ऐसे राज्य रहे हैं, जिनके बारे में पुरानी धारणा रही है कि यहीं से दिल्ली का रास्ता जाता है। बिहार ने अपना एजेंडा सेट कर दिया। नीतीश ने विपक्षी गठबंधन की बुनियाद तो रखी, लेकिन उससे अलग हो गए। अब फिर उनके बारे में अनुमान लगाए जा रहे हैं कि वे बदले हालात में पाला बदल सकते हैं।
पाला बदलने के माहिर खिलाड़ी हैं नीतीश
यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि नीतीश पाला बदल के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। 2013 में नरेंद्र मोदी को पीएम फेस बनाए जाने परह उन्होंने एनडीए छोड़ दिया था। 2017 में वे एनडीए के साथ आए, पर 2022 में उन्हें फिर आरजेडी आकर्षित करने लगा। हालांकि 17 महीने बाद ही उन्होंने एनडीए का दामन थाम लिया था। उनके सियासी इतिहास को देखते हुए अब ये कयास लगने हैं कि भाजपा की कमजोरी को देखते हुए क्या वे फिर इसका फायदा उठाएंगे। अगर ऐसा होता है कि तेजस्वी की बात सही हो जाएगी।