Thursday, September 19, 2024

बिहार: मुंगेर के इस गांव में 200 साल से होली नहीं मनाते हैं लोग, जानिए इसके पीछे की वजह

पटना। आज देशभर में हर्षों उल्लास के साथ होली मनाई जा रही है। हर कोई रंगों के इस त्योहार में डूब जाना चाहता है। लेकिन बिहार में एक ऐसा भी गांव है, जहां होली नहीं मनाई जाती है। होली पर भी यहां किसी के चेहरे पर रंग-गुलाल नहीं होता है, गलियां बेरंग रहती है। चलिए बिना देर किए आपको बिहार के उस गांव के बारे में बताते है, जहां की हर होली फींकी होती है। कोई रंगों से नहीं खेलता। यह गांव बिहार के मुंगेर जिले में पड़ता है। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर राम-कृष्ण की गाथाओं का साक्षी है। इस गांव के लोग कहते है कि यहां राम-कृष्ण, शिव- शक्ति सभी का वास है। लेकिन यहां के लोग पिछले 200 सालों से होली नहीं खेलते।

होली खेलने से डरते हैं लोग

मुंगेर के सती स्थान गांव में लोग होली खेलने से डरते है। यहां के लोगों को लगता है कि होली मनाने से उनके साथ कोई अनहोनी हो जायेगी। सती स्थान गांव तारापुर अनुमंडल के असरगंज प्रखंड अंतर्गत सजूआ पंचायत में पड़ता है। इस गांव की जनसंख्या 1500 के करीब है। लेकिन ये आबादी इतने लंबे समय से न होली मनाता है और न होली के दिन पकवान बनाता है।

जानिए पूरी कहानी

बताया जाता है कि इस गांव की एक महिला होली के दिन ही अपने पति के साथ चिता में जलकर सती हो गई थी। इस गांव में एक सती मंदिर भी है। कहा जाता है कि यहां एक पति-पत्नी रहते थे। होली के दिन ही महिला के पति का निधन हो गया। जब लोग उसके पति को लेकर जलाने ले जाने लगे तो शव अर्थी से बार-बार नीचे गिरने लगा। उसकी बेसुध पत्नी को जैसे ही होश आया तो वह भागकर अपने पति से लिपट गई। वह अपने पति के चिता के साथ सती होने का जिद्द करने लगी। गांव वालों ने उसके पति के साथ उसकी भी चिता सजा दी। तभी लोगों ने देखा कि पत्नी की छोटी अंगुली से आग निकली और चिता जल उठी। महिला अपने पति के साथ ही सती हो गई। इसके बाद गांव वालों ने वहां सती स्थल मंदिर का निर्माण कराया और उस सती महिला की पूजा-अर्चना करने लगे। तबसे उस गांव में होली नहीं मनाया जाता है।

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