पटना। दुबई में भारत की विविध और जीवंत लोक और आदिवासी कला परंपराओं को प्रदर्शित करने वाली ‘स्वदेश’ नामसे एक अनूठी प्रदर्शनी आयोजित की गई। विदिशा क्रिएशन की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों से कम ज्ञात कला रूपों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। कला को जागरुक करना इस […]
पटना। दुबई में भारत की विविध और जीवंत लोक और आदिवासी कला परंपराओं को प्रदर्शित करने वाली ‘स्वदेश’ नामसे एक अनूठी प्रदर्शनी आयोजित की गई। विदिशा क्रिएशन की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों से कम ज्ञात कला रूपों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
इस ‘स्वदेश’ प्रदर्शनी में मंजुला कला और गोंड कला जैसे कम ज्ञात कला रूपों पर विशेष ध्यान दिया गया, जो अक्सर अधिक प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग से प्रभावित होते हैं। इसकी क्यूरेटर विदिशा पांडे ने कहा, ‘बिहार जैसे एक ही राज्य में, हमारे पास मिथिला कला के अलावा टिकुली कला और मंजूषा कला जैसी कई समृद्ध कलात्मक परंपराएं हैं।’
विदिशा ने आगे कहा कि ‘हालांकि, इनमें से कई कला रूप व्यापक जनता के लिए अपेक्षाकृत अज्ञात हैं।’ प्रदर्शनी में विभिन्न प्रकार की लोक और आदिवासी कलाकृतियां प्रदर्शित की गईं। इनमें बिहार की रंगीन मिथिला पेंटिंग, महाराष्ट्र की आकर्षक वारली आदिवासी कला, तमिलनाडु की जटिल कोलम कलाकृतियां, केरल की प्रसिद्ध भित्ति कला परंपरा और चिकित्सीय मंडला कलाकृतियों में चित्रित पौराणिक कहानियां। इस प्रदर्शनी के अलावा, ‘स्वदेश’ कार्यक्रम में इंटरैक्टिव कार्यशालाएं भी शामिल थीं, जिनमें आगंतुकों को सीधे मास्टर कारीगरों से पारंपरिक तकनीक सीखने का अवसर मिला, तथा कलाओं की बिक्री भी हुई।