पटना। बिहार में गांधी जयंती के मौके पर मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी कर दी है। बताया जा रहा है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था।
जाति आधारित गणना की रिपोर्ट
बिहार में हुई जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट 2 अक्टूबर को जारी कर दी गई है। बताया जा रहा है कि आज गांधी जयंती के मौके पर बिहार सरकार के मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी की है। बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर में काफी दिनों से बवाल मचा हुआ था। यहीं नहीं यह मामला हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। सोमवार को मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने रिपोर्ट जारी की है जिसमें, बिहार में सामान्य वर्ग के लोगों की आबादी 15 प्रतिशत है वहीं पिछड़ा वर्ग की आबादी 27 प्रतिशत से ज्यादा है, जबकि अनुसूचित जाति की आबादी करीब 20 प्रतिशत है। बता दें कि नीतीश कुमार सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट में यह डेटा सामने आया है।
बिहार में हैं कुल 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 107 परिवार
गणना रिपोर्ट के अनुसार पूरे बिहार की जनसंख्या कुल 13 करोड़ 7 लाख 25 हज़ार 310 है। इसमें बिहार में बाहर से आकर रहने वालों की संख्या 53 लाख 72 हजार 22 है और बिहार राज्य में रहने वालों की कुल जनसंख्या 12 करोड़ 53 लाख 53 हजार 288 है। बता दें कि इसमें पुरुषों की कुल संख्या 6 करोड़ 41 लाख 31 हजार 990 है जबकि महिलाओं की संख्या 6 करोड़ 11 लाख 38 हजार 460 है। वहीं अन्य की संख्या 82 हजार 836 दर्ज की गई है। गणना के अनुसार 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं हैं। इसमें पूरे बिहार में कुल 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 107 परिवारों को सर्वेक्षित किया गया है।
बिहार में किसकी कितनी जनसंख्या
जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में सबसे अधिक हिंदुओं की संख्या पाई गई है। बता दें की इसमें में 81.99 प्रतिशत हिंदू हैं। हिंदुओं की संख्या 10 करोड़ 71 लाख 92 हजार 958 है। वहीं बिहार में मुस्लिम की संख्या 17.7% यानी 2 करोड़ 31 लाख 49 हजार 925 है। इसके अलावा ईसाई की संख्या 75238, सिख की संख्या 14753, बौद्ध की संख्या 111201 और जैन की संख्या 12523 है यानी 1% से भी कम है। बता दें कि जब बिहार में भारतीय जनता पार्टी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी सरकार में थी, उसी समय बिहार विधानसभा और विधान परिषद ने राज्य में जाति आधारित गणना कराए जाने का प्रस्ताव पारित किया था। वहीं कोरोना की स्थिति संभलने के बाद 1 जून 2022 में सर्वदलीय बैठक में जाति आधारित गणना को सर्वसम्मति से कराने का प्रस्ताव पारित किया गया था।
किस जाति में कितने लोग
बिहार के जातीय गणना के आंकड़े के अनुसार कुल जनसंख्या का 63 प्रतिशत हिस्सा ओबीसी, ईबीसी हैं। आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है। इसमें अगर वर्गों की आबादी के बारे में बात करें तो सामान्य वर्ग – 15.52%,पिछड़ा वर्ग- 27.12%,अति पिछड़ा वर्ग – 36.1%,अनूसूचित जाति- 19.65% और अनूसचित जनजाति – 1.68% है। वहीं अगर बात करें कि किस में कितनी आबादी है तो ब्राह्मण- 3.67%, राजपूत- 3.45%, भूमिहार- 2.89%, कायस्थ – 0.60%, यादव – 14.26 %, कुरमी- 2.87%, तेली- 2.81%, मुसहर- 3.08% और सोनार-0.68% में हैं।
क्यों की गई थी गणना?
बता दें कि बिहार सरकार की ओर से राज्य में जातियों की संख्या और उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए जाति जनगणना कराई गई थी। फिलहाल सरकार का कहना है कि इससे आरक्षण के लिए प्रावधान करने और विभिन्न योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन में मदद मिलेगी। बिहार में जाति आधारित गणना का पहला चरण 7 जनवरी से शुरू हुआ था। यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था। वहीं 15 अप्रैल से इसके दूसरे चरण की गणना की शुरुआत हुई। इसे 15 मई को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन, मामला कोर्ट में चला गया। इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने गणना पर रोक लगा दिया था। बाद में फिर पटना हाईकोर्ट ने ही जाति आधारित गणना को हरी झंडी दी। दूसरे चरण में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय समेत अन्य जानकारियां जुटाई गईं। इसके बाद मामला सुप्रीमो कोर्ट में भी गया। लेकिन इस बार कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।