पटना। पितृपक्ष के दौरान लाखों की संख्या में देश–विदेश से हिंदू सनातन धर्मावलंबी गया पहुंचते हैं। अगर आप भी पितृपक्ष के समय गया जाने वाले हैं और वहां की तैयारी और सुविधाओं के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां से जानकारी ले सकते हैं।
देश-विदेश से लाखों तीर्थयात्री आते हैं
गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 28 सितंबर से शुरू होने वाला है। यह मेला 14 अक्टूबर तक चलेगा। मेले के दौरान यहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में हिंदू सनातन धर्मावलंबी पहुंचते हैं। यहां वह अपने पितरों की मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान, तर्पण और विभिन्न प्रकार के कर्मकांडों को पूरा करते हैं। कहा जाता है कि ये मान्यता है कि पितरों को जल और तिल से पितृपक्ष में तर्पण किया जाता है।
पिंडदान के स्थान
बता दें कि शहर में पिंडदान करने के लिए 54 स्थान हैं। तीर्थयात्री यहां अलग-अलग तिथि को पिंडदान करते हैं। यहां प्रेतशिला, रामशिला, देव घाट, अक्षयवट, गोदावरी, पितामहेश्वर, विष्णुपद, सीता कुंड सहित अन्य 54 वेदियों पर तीर्थयात्री पिंडदान और तर्पण करने आते हैं।
तीर्थयात्रियों के रहने का पूरा इंतज़ाम
बताया जा रहा है कि सीताकुंड में प्याऊ बना हुआ है। इसके अलावा देव घाट पर भी तीन अलग-अलग प्याऊ बने है और विष्णुपद मंदिर गेट के बाहर भी गंगाजल की आपूर्ति की जाएगी। यहीं नहीं पाइपलाइन के जरिए भी तीर्थयात्रियों को गंगाजल उपलब्ध हो सकेगा। बता दें कि गांधी मैदान में लोगों के ठहरने के लिए जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग के द्वारा टेंट सिटी का निर्माण कराया जा रहा है। टेंट सिटी में लगभग 2500 लोगों के रहने की व्यवस्था है। यहां पर इसके अलावा बोधगया के निग्मा मोनेस्ट्री में 2400, सामुदायिक भवन और अन्य आवासन के लिए 41 आवासन स्थल में 10050 लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है।
होटल, रेस्टहाउस, निजि भवन और धर्मशाला की व्यवस्था
मेले में 6000 पुलिस जवानों के ठहरने के लिए 23 स्थानों का चयन किया गया है। इसके अलावा लगभग 3452 यात्रीयों के लिए 63 होटल और रेस्टहाउस भी चिह्नित किए गए हैं। वहीं 368 पंडा के लिए निजी भवन और धर्मशाला को चिह्नित किया गया है। यहां पर 36544 यात्री ठहर सकेंगे। यहीं नहीं इसी तरह कुल 497 स्थानों पर करीब 60946 लोगों के रूकने की व्यवस्था की गई है।
ये हैं सुरक्षा के इंतजाम
मेले में पेयजल की व्यवस्था, शौचालय, बिजली, साफ–सफाई, चिकित्सा सुविधा सहित अन्य सभी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। जिसके लिए अलग-अलग कोषांग का गठन किया गया है। बता दें कि इसकी मॉनीटरिंग अधिकारी और खुद डीएम करेंगे। मेले में तीर्थयात्रियों की भीड़ होगी इसलिए ऐसे में सुरक्षा-व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए मेला क्षेत्र में नो व्हीकल जोन बनाया गया है। हालांकि तीर्थयात्री ई-रिक्शा से मंदिर तक जा पाएंगे।