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आज है मासिक शिवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पटना। हर महीने में एक बार मासिक शिवरात्रि आती है। इस बार मासिक शिवरात्रि 26 अप्रैल यानी आज है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस खास दिन को भगवान शिव के भक्त अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस दिन महिलाएं […]

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monthly Shivaratri
  • April 26, 2025 2:24 am IST, Updated 11 hours ago

पटना। हर महीने में एक बार मासिक शिवरात्रि आती है। इस बार मासिक शिवरात्रि 26 अप्रैल यानी आज है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस खास दिन को भगवान शिव के भक्त अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस दिन महिलाएं व्रत भी रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से जो भी मांगे वो पूरा हो जाता है। इस दिन की गई भगवान शिव की पूजा से जीवन में सुख और शांति का आगमन होता है। आइए जानते हैं इस दिन का शुभ समय, पूजा विधि के बारे में।

मासिक शिवरात्रि का शुभ समय

सनातन धर्म में मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा का खास महत्व होता है। मासिक शिवरात्रि के दिन की गई पूजा लाभकारी मानी जाती है। इस बार मासिक शिवरात्रि का व्रत 26 अप्रैल यानी आज रखा जाएगा। मासिक शिवरात्रि के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 53 मिनट से आरंभ होगा, जो रात को 9 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगा। पूजा के लिए शुभ समय 2 घंटे 10 मिनट का माना गया है। इस अवधि में की गई पूजा से खास फल की प्राप्ति होती है। इस समय की गई पूजा से भगवान शिव काफी प्रसन्न होंगे।

मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। जो महिलाएं मासिक शिवरात्रि का व्रत रखती हैं, उनके जीवन में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं। मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग को स्थापित करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाना चाहिए। फिर दही, शहद, दूध और बेलपत्र अर्पित करना चाहिए।

भगवान शिव का मंत्र

फिर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को सच्चे दिल से याद करें। सूर्यास्त होने के बाद दोबारा शिव जी की पूजा करें। साथ ही भगवान शिव की कथा का पाठ करें।


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