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लोन चुकाने के मामले में महिलाएं पुरुषों से आगे, रीपेमेंट के मामले में बढ़ती हिस्सेदारी

पटना। भारत में लोन लेने और उसे चुकाने के मामले में महिलाओं ने पुरूषों का पछाड़ दिया है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी सीआरआईएफ हाई मार्क की रिपोर्ट में इस बात का पता चला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं ने लोन लेने और रीपेमेंट के मामले में पुरुषों से […]

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  • March 8, 2025 6:00 am IST, Updated 4 days ago

पटना। भारत में लोन लेने और उसे चुकाने के मामले में महिलाओं ने पुरूषों का पछाड़ दिया है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी सीआरआईएफ हाई मार्क की रिपोर्ट में इस बात का पता चला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं ने लोन लेने और रीपेमेंट के मामले में पुरुषों से काफी आगे निकल चुकी है।

महिला उधारकर्ताओं की संख्या में इजाफा

साल 2024 में सक्रिय महिला उधारकर्ताओं की संख्या 10.8% बढ़कर 8.3 करोड़ हो गई। जो पुरुषों की तुलना में 6.5% ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं ने लोन रीपेमेंट में भी पुरुषों से बेहतर प्रदर्शन किया है। अधिकांश लोन प्रोडक्ट्स जैसे कॉरपोरेट लोन, एग्रीकल्चर लोन, होम लोन, ट्रैक्टर लोन, प्रॉपर्टी लोन और एजुकेशन लोन के रीपेमेंट में महिलाओं ने ज्यादा अनुशासित व्यवहार दिखाया है। हालांकि, सोने के बदले लिए गए कर्ज और दोपहिया वाहन कर्ज में पुरुषों की हिस्सेदारी ज्यादा रही है।

महिलाओं को लोन देने में बैंकों की दिलचस्पी

रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2024 में सरकारी वित्तीय संस्थानों और बैंकों ने महिलाओं को लोन देने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है। महिला उधारकर्ताओं का कुल बकाया लोन पोर्टफोलियो 18% बढ़कर 36.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसके बावजूद, कुल कर्जदारों में महिलाओं की हिस्सेदारी 24% ही रही है। 35 वर्ष या उससे कम उम्र की महिलाओं ने लोन ऑरिजिनेशन में सबसे अधिक योगदान दिया। साल 2024 में महिलाओं की लोन ऑरिजिनेशन हिस्सेदारी बढ़कर 43.8% हो गई।

लोन के मामले में महाराष्ट्र सर्वश्रेष्ठ

महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी इस ओर इशारा करती है कि युवा महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। राज्यों की बात करें, तो महिलाओं की ओर से लिए गए होम लोन, कॉरपोरेट लोन, प्रॉपर्टी लोन, क्रेडिट कार्ड, कार लोन और एजुकेशन लोन के मामले में महाराष्ट्र सर्वेश्रेष्ठ रहा। इससे संकेत मिलता है कि महाराष्ट्र की महिलाएं वित्तीय समावेशन में सबसे आगे हैं। महिलाओं की बढ़ती लोन भागीदारी भारत की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना के लिए सकारात्मक कदम है।

कर्ज देने की पहल शिक्षा में योगदान

महिलाओं की लोन में बढ़ती हिस्सेदारी से महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ेगी। साथ ही आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी। सरकार और वित्तीय संस्थानों की ओर से महिलाओं को अधिक कर्ज देने की पहल उनके व्यवसायों और शिक्षा में योगदान को और मजबूत करेगी।


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