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आज है शिवाजी महाराज की जयंती, जानें कैसे बचाई थी उन्होंने अपनी जान

पटना। मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के सबसे वीर योद्धाओं में से एक हैं। इनकी वीर गाथा के हर जगह प्रचलित है। शिवाजी महाराज का नाम हर मराठा गर्व से लेता है। वह केवल महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश में वीरता की एक मिसाल हैं। छत्रपति शिवाजी का जन्म छत्रपति शिवाजी न […]

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SHIVAJI JAYANTI
  • February 19, 2025 6:53 am IST, Updated 3 days ago

पटना। मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के सबसे वीर योद्धाओं में से एक हैं। इनकी वीर गाथा के हर जगह प्रचलित है। शिवाजी महाराज का नाम हर मराठा गर्व से लेता है। वह केवल महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश में वीरता की एक मिसाल हैं।

छत्रपति शिवाजी का जन्म

छत्रपति शिवाजी न केवल रणनीतिक बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाते है, बल्कि एक सशक्त मराठा साम्राज्य की नींव रखने के लिए भी जाना जाते है। शिवाजी महाराज की जयंती हर साल 19 फरवरी को मनाई जाती है। इस दिन उनकी वीरता, शौर्य और नेतृत्व जीवन को याद किया जाता है। आइए जानते हैं छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोंसले बीजापुर के एक सेनापति थे।

मराठा साम्राज्य की नींव रखी

शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई ने उन्हें बचपन से ही धर्म, नैतिकता और युद्ध कौशल की शिक्षा दी थी। कहा जाता है कि जीजाबाई ने उन्हें रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाकर एक महान योद्धा बनने के लिए प्रेरित किया। शिवाजी महाराज ने 16 साल की उम्र में ही बीजापुर के तोरणा किले पर कब्जा कर लिया था। यह उनकी पहली जीत थी, जिसने उनकी वीरता को साबित किया। इसके बाद उन्होंने कई अन्य किलों को जीता और मराठा साम्राज्य की नींव रखी।

नाखून से किया अफजल का वध

बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी महाराज को हराने के लिए अफजल खान नामक एक क्रूर सेनापति को भेजा था। उसने शिवाजी को धोखे से मारने का प्लान बनाया। इसके लिए अफजल खान ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया, लेकिन शिवाजी महाराज ने पहले ही उसकी चाल को भांप लिया था। जब अफजल खान ने शिवाजी को गले लगाने के बहाने उन पर हमला करने की कोशिश की तो उन्होंने अपने नाखून जैसे हथियार से उससे मार डाला।

किले से बाहर निकलने की योजना बनाई

औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को आगरा बुलाकर धोखे से कैदी बना लिया। उन्हें आगरा के किले में कड़े पहरे के बीच रखा गया। लेकिन शिवाजी ने महाराज ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए खुद को बचा लिया। उन्होंने बीमार होने का नाटक किया और अपने भोजन की टोकरियों में खुद को छिपाकर बाहर निकलने का प्लान बनाया। इस चतुराई भरी योजना के जरिए वे आगरा किले से बचकर सफलतापूर्वक बाहर आए और वापिस महाराष्ट्र लौट गए।


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