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राम मंदिर के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल के निधन पर सीएम नीतीश कुमार ने जताया दुख, राजनीतिक की अपूरणीय क्षति

पटना। राम मंदिर की नींव रखने वाले कामेश्वर चौपाल का 07 फरवरी को निधन हो गया। 68 साल की उम्र की उन्होंने आखिरी सांस ली। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे, जिस वजह से उन्हें इलाज के लिए दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री […]

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CM Nitish expressed grief
  • February 7, 2025 7:45 am IST, Updated 5 months ago

पटना। राम मंदिर की नींव रखने वाले कामेश्वर चौपाल का 07 फरवरी को निधन हो गया। 68 साल की उम्र की उन्होंने आखिरी सांस ली। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे, जिस वजह से उन्हें इलाज के लिए दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुख जताया है।

गंगाराम अस्पताल में ली आखिरी सांस

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने शोक संदेश में कहा कि वे एक कुशल राजनेता और समाजसेवी थे। कामेश्वर चौपाल राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी भी थे। उनके निधन से राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति और उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना है।
कामेश्वर चौपाल ने दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में आखिरी सांस ली है। उनके निधन के बाद से लगातार दुख संदेश भेजे जा रहे हैं।

कमरैल गांव के निवासी थे

कामेश्वर चौपाल सुपौल जिले के मरौना प्रखंड के कमरैल गांव के निवासी थे। कामेश्वर चौपाल बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे। विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने समाज सेवा में योगदान दिया। कामेश्वर चौपाल जी का जन्म 24 अप्रैल 1956 में सुपौल में हुआ था। इसके बाद मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा) से उन्होंने एमए की डिग्री प्राप्त की थी। वे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त सचिव के पद पर भी कार्य कर चुके हैं। साल 1989 में जब अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया गया, तब विहिप के नेतृत्व में कामेश्वर चौपाल को पहली ईंट रखने का गौरव प्राप्त हुआ।

राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहें

उन्होंने कहा था, “जैसे श्रीराम को शबरी ने बेर खिलाए थे, वैसा ही मान-सम्मान मुझे भी मिला है” शिलान्यास के बाद कामेश्वर चौपाल राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहें। जिसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए। साल 1991 में उन्होंने बीजेपी से रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वह जीत नहीं पाए। साल 1995 में बीजेपी से ही बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़े लेकिन एक भी बार जीते नहीं।


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