गुप्त नवरात्रि में इन देवियों की होती है पूजा, मिलता है मनचाहा फल

पटना। पूरे एक साल में 4 नवरात्रि आते हैं। पहले दो चैत्र और शारदीय नवरात्रि है। बाकि दो नवरात्रि माघ और आषाढ़ के समय आते है,जिन्हें गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस साल गुप्त नवरात्रि की शुभारंभ 30 जनवरी 2025 आरंभ है। शुक्ल पक्ष में मनाए जाते गुप्त नवरात्र माघ मास के […]

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गुप्त नवरात्रि में इन देवियों की होती है पूजा, मिलता है मनचाहा फल

Pooja Pal

  • January 31, 2025 2:25 am IST, Updated 6 hours ago

पटना। पूरे एक साल में 4 नवरात्रि आते हैं। पहले दो चैत्र और शारदीय नवरात्रि है। बाकि दो नवरात्रि माघ और आषाढ़ के समय आते है,जिन्हें गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस साल गुप्त नवरात्रि की शुभारंभ 30 जनवरी 2025 आरंभ है।

शुक्ल पक्ष में मनाए जाते गुप्त नवरात्र

माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इस साल गुप्त नवरात्र का शुभारंभ 30 जनवरी 2025, गुरुवार से शुरू होकर 07 फरवरी 2025, शुक्रवार को समाप्त होगा। इस दौरान जिन 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है वह कुछ इस तरह हैं- तारा देवी, मां काली, भुवनेश्वरी, त्रिपुर सुंदरी, माता छिन्नमस्ता, मां धूमावती, त्रिपुर भैरवी, माता मातंगी, माता बगलामुखी और कमला देवी। गुप्ता नवरात्रि में इन 10 महाविधियों की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

सिद्धि प्राप्ति के लिए करते है पूजा

यह पूजा तांत्रिक, अघोरी गुप्त नवरात्रि मे तंत्र- मंत्र की सिद्धि प्राप्ति करने के लिए की जाती है। वहीं चैत्र और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। सभी नवरात्रि का शुभारंभ वैदिक पंचांग के मुताबिक कलश स्थापना से शुरू हो जाता है। इन नवरात्रियों के दौरान देवी साधना से देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। साधना की गोपनीयता जितनी ज्यादा होगी, फल भी उतना ही जल्दी मिलेगा। इन दिनों श्री दुर्गा सप्तशती, मंत्र जाप और हवन के माध्यम से देवी की साधना की जाती है।

अखंड जोत से माता प्रसन्न

अगर हवन या अन्य कर्मकांड करने में असहज महसूस होता हैं, तो इन नौ दिनों किसी भी प्रकार का संकल्प ले सकते हैं, जैसे सवा लाख मंत्रों का जाप कर अनुष्ठान करना। इसके अलावा राम रक्षा स्त्रोत, देवी भागवत आदि का नौ दिन का संकल्प लेकर पाठ भी कर सकते है। अखंड जोत जलाकर साधना करने से माता प्रसन्न होती हैं।

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