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बीपीएससी एग्जाम में शामिल अभ्यर्थियों को चिराग पासवान का समर्थन, कहा केंद्रों के पास पर्याप्त संख्या में प्रश्न पत्र नहीं

पटना। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पिछले महीने हुई बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा को रद्द करने की अभ्यर्थियों की मांग को अपना समर्थन दिया। चिराग ने कहा कि उन्हें परीक्षा में ‘बड़े पैमाने पर अनियमितताओं’ के बारे में अपने नजदीकियों रिश्तेदारों से सूचना मिली। जो परीक्षा में शामिल चार लाख अभ्यर्थियों में […]

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Chirag Paswan
  • January 30, 2025 2:54 am IST, Updated 3 months ago

पटना। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पिछले महीने हुई बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा को रद्द करने की अभ्यर्थियों की मांग को अपना समर्थन दिया। चिराग ने कहा कि उन्हें परीक्षा में ‘बड़े पैमाने पर अनियमितताओं’ के बारे में अपने नजदीकियों रिश्तेदारों से सूचना मिली। जो परीक्षा में शामिल चार लाख अभ्यर्थियों में शामिल हैं।

प्रश्नपत्र पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं

चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA ) सरकार का हिस्सा है। हाजीपुर से सांसद चिराग से जब 13 दिसंबर को आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा पर उनके रुख के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मेरे परिवार के कई सदस्यों, मेरी भतीजी और एक भतीजा भी परीक्षा में शामिल थे। मैंने उनसे चौंकाने वाली चूक के बारे में पूछा।’ चिराग पासवान ने कहा कि उन्हें बताया गया कि कई केंद्रों पर, प्रश्नपत्र पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं थे।

परीक्षा के समय प्रश्न पत्र छपवाएं

यहीं कारण है कि प्रश्न पत्र को परीक्षा शुरू होने के बाद छापा गया। कुछ ही समय बाद, ये प्रश्नपत्र व्हाट्सएप और एक्स जैसे सोशल मीडिया सभी पर वायरल हो गए। केंद्रीय मंत्री ने इन शिकायतों पर ध्यान नहीं दिए जाने के लिए बीपीएससी अधिकारियों की आलोचना की और पूछा कि अगर आयोग को इतना यकीन था कि सब कुछ ठीक है, तो उसने एक केंद्र के लिए फिर से परीक्षा कराने का आदेश क्यों दिया? चिराग पासवान इस बात से हैरान थे कि इस महीने की शुरुआत में ‘22 केंद्रों पर’ दोबारा परीक्षा आयोजित की गई।

अभ्यर्थियों की दलील का समर्थन

पिछले महीने राज्य के 911एग्जाम सेंटरों पर परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें बापू परीक्षा केंद्र भी शामिल था, जहां 12,000 अभ्यर्थियों को फिर से परीक्षा देने का आदेश दिया गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे अन्य अभ्यर्थियों की इस दलील का ‘पूरी तरह से समर्थन’ करते हैं कि उन्हें समान अवसर नहीं दिया जा रहा है।


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