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Maha Kumbh: आज से शुरू हो रहा आस्था का सबसे बड़ा पर्व, महाकुंभ में बन रहे खास संयोग

लखनऊ। संगम नगरी प्रयागराज में सोमवार से महाकुंभ की शुरूआत होने जा रही है। महाकुंभ के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी शुरू कर दी है। इस बार महाकुंभ में लगभग 40 से 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। वहीं, महाकुंभ शुरू होने से पहले ही रविवार को यहां पर लाखों श्रद्धालुओं ने अमृत […]

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Maha Kumbh
  • January 13, 2025 2:39 am IST, Updated 11 months ago

लखनऊ। संगम नगरी प्रयागराज में सोमवार से महाकुंभ की शुरूआत होने जा रही है। महाकुंभ के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी शुरू कर दी है। इस बार महाकुंभ में लगभग 40 से 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। वहीं, महाकुंभ शुरू होने से पहले ही रविवार को यहां पर लाखों श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान के लिए आएंगे।

संगम त्रिवेणी में आस्था की डुबकी

महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं को सुविधा के साथ ही सुगम स्नान कराने के लिए मुख्य मंत्री योगी सरकार के प्रयासों का नतीजा महाकुंभ से पहले ही देखने को मिला है। महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा से एक दिन पहले ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित कर लिया है। पौष पूर्णिमा के पहले स्नान पर्व से पहले रविवार को लगभग 50 लाख श्रद्धालुओं ने संगम त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई। बड़ी संख्या में साधु संतों के साथ ही पुरुषों, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों ने अमृत स्नान किया है।

क्रम के मुताबिक स्नान करेंगे

इससे पहले शनिवार को भी 33 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। स्नान पर्व से पूर्व सभी प्रमुख साधु संत अखाड़ा क्षेत्र में एंट्री कर चुके हैं। महाकुंभ में सभी अखाड़ों का छावनी प्रवेश हो चुका है। बीते दिन श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन का छावनी क्षेत्र में प्रवेश हो गया है। इसके साथ ही महाकुंभ में सनातन के ध्वजवाहक 13 अखाड़ों की छावनी क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज करा दी। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पहले अमृत स्नान पर सभी अखाड़े अपने क्रम के मुताबिक स्नान करेंगे।

कुंभ के रंग में रंगे संत

उल्लेखित है कि संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे सनातन आस्था का सबसे बड़ा मेला महाकुंभ 2025 में अनेक रंग देखने को मिल रहे हैं। देश के कोने-कोने से अलग-अलग वेशभूषा में साधु संत महाकुंभ के लिए पहुंच रहे हैं। 144 साल बाद महाकुंभ के लिए कुछ खास संयोग बन रहे है। हर कोई कुंभ जाने से अपने आप को नहीं रोक पा रहा है। अलग-अलग तरह के महात्माओं के स्वरूप अलग-अलग तरह के अखाड़ा प्रमुख कुंभ के रंग में रंगे दिखाई दे रहे हैं।


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