मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन, पीएम समेत कई राजनेताओं ने दी नम आखों से अंतिम विदाई

पटना: मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 साल की उम्र में एम्स में निधन हो गया। आज शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ डॉ. मनमोहन सिंह को दिल्ली के निगम बोध घाट पर अंतिम विदाई दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई राजनेताओं ने नम आखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। बता दें कि तीनों […]

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मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन, पीएम समेत कई राजनेताओं ने दी नम आखों से अंतिम विदाई

Shivangi Shandilya

  • December 28, 2024 7:30 am IST, Updated 1 day ago

पटना: मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 साल की उम्र में एम्स में निधन हो गया। आज शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ डॉ. मनमोहन सिंह को दिल्ली के निगम बोध घाट पर अंतिम विदाई दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई राजनेताओं ने नम आखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। बता दें कि तीनों सेना की तरफ से पूर्व पीएम के पार्थिव शरीर को सलामी दी गई। वहीं पूर्व पीएम का पार्थिव शरीर जिस तिरंगे में लिपटा था, वे तिरंगा उनके परिवार वालों को सौंप दिया गया.

बेटी ने दी मुखाग्नि

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तीन बेटियां हैं। तीनों की उम्र छठे दशक के आसपास है. उनकी बड़ी बेटी उपिंदर सिंह 65 साल की हैं, दूसरी बेटी दमन सिंह 61 साल की हैं और तीसरी बेटी अमृत सिंह 58 साल की हैं। शास्त्रों के अनुसार मुखाग्नि से पार्थिव शरीर को पुत्र की प्राप्ति होती है, लेकिन पुत्र के अभाव में बेटियां भी यह जिम्मेदारी निभाने लगी हैं। शास्त्रों के अनुसार मृत्यु के बाद शव का दाह संस्कार करना बहुत जरूरी है। बेटों की अनुपस्थिति में बेटियां अब यह जिम्मेदारी उठाने लगी हैं, जिसे समाज ने स्वीकार कर लिया गया है।

राहुल गांधी ने दिया कंधा

बता दें कि पूर्व पीएम की अर्थी को उनके परिवार के साथ-साथ लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी कंधा दिया। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने निगम बोध घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को अंतिम श्रद्धांजलि दी.राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान तीनों सेनाओं ने पूर्वी पीएम को सलामी दी.

मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा

बसपा चीफ मायावती ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘केन्द्र सरकार देश के पहले सिख प्रधानमंत्री रहे डा. मनमोहन सिंह के देहान्त होने पर उनका अन्तिम संस्कार वहां कराये तथा उनके सम्मान में भी स्मारक आदि वहीं बनवाये जहां उनके परिवार की दिली इच्छा है. अर्थात् इसके लिए कोई भी राजनीति करना ठीक नहीं है और इन मामलों में केन्द्र सरकार इनके परिवार की व सिख समाज की भी भावनाओं का ज़रूर सम्मान करे तो यह उचित होगा.’

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