दुर्योधन ने अर्जुन को 3 तीर क्यों दिए? जानिए इसके पीछे का रहस्य
महाभारत में पांडवों को 12 वर्ष का वनवास सहना पड़ा और इस दौरान उन्होंने जंगल में एक यज्ञ का आयोजन किया।
पांडवों के यज्ञ को भंग करने के उद्देश्य से दुर्योधन भी वहां जा पहुंचा और अपनी चालाकी से यज्ञ में विघ्न डालने लगा।
यज्ञ में आ रही बाधाओं के कारण पांडव चिंतित हो गए और अर्जुन ने इंद्रदेव से यज्ञ की देखरेख करने की प्रार्थना की। फिर भगवान इंद्र की देखरेख में यज्ञ शुरू हुआ।
इस बीच, जब दुर्योधन ने फिर से यज्ञ को प्रभावित करने की कोशिश की, तो भगवान इंद्र के कुछ गंधर्वों ने दुर्योधन को रस्सी से बांध दिया और स्वर्ग ले गए।
जब यह बात अर्जुन को पता चली तो वह दुर्योधन को बचाने के लिए स्वर्ग पहुंचे और कहा कि दुर्योधन यज्ञ में हमारा अतिथि था और उसके जीवन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
अर्जुन के अनुरोध पर गंधर्वों ने दुर्योधन को रिहा कर दिया। इसके बाद दुर्योधन की जान बचाने के लिए अर्जुन ने दुर्योधन से 3 बाणों का वरदान मांगा था।
दुर्योधन ने अर्जुन को यह वरदान दिया और कहा कि ये 3 तीर आम लोगों के लिए नहीं, बल्कि तीन महान योद्धाओं के लिए हैं।
महाभारत युद्ध: अर्जुन ने इन बाणों का इस्तेमाल किया और इस धर्म युद्ध में जीत हासिल की।