SP: अरबपति बिजनेस मैन को 2 शादी पड़ी भारी, सुप्रीम कोर्ट ने लगाया करोड़ों का जुर्माना

पटना। एक अमीर आदमी को शादी करना और तलाक देना महंगा पड़ गया। अमेरिका में एक आईटी कंसल्टेंसी सर्विस कंपनी के मालिक एक भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक को शादी करना भारी पड़ गया। उन्हें इस बात का एहसास तब हुआ, जब उन्हें नवंबर 2020 में अपनी पहली पत्नी को गुजारा भत्ता के रूप में […]

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SP: अरबपति बिजनेस मैन को 2 शादी पड़ी भारी, सुप्रीम कोर्ट ने लगाया करोड़ों का जुर्माना

Pooja Pal

  • December 21, 2024 7:35 am IST, Updated 19 hours ago

पटना। एक अमीर आदमी को शादी करना और तलाक देना महंगा पड़ गया। अमेरिका में एक आईटी कंसल्टेंसी सर्विस कंपनी के मालिक एक भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक को शादी करना भारी पड़ गया। उन्हें इस बात का एहसास तब हुआ, जब उन्हें नवंबर 2020 में अपनी पहली पत्नी को गुजारा भत्ता के रूप में 500 करोड़ रुपये देने पड़े गए।

व्यक्ति को दोनों शादी नहीं चली

इतना ही नहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दूसरी पत्नी को 12 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है। कंसल्टेंसी सर्विस कंपनी के मालिक की दूसरी शादी एक साल से भी कम समय तक चली। इतना कुछ होने के बाद ये उद्योगपति शायद ही अब तीसरी शादी करने के बारे में सोचे। इस व्यक्ति की दूसरी शादी 31 जुलाई, 2021 को हुई थी, जो सिर्फ कुछ महीनों तक ही चली और टूट गई। दूसरी पत्‍नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसे गुजारा भत्ता के तौर पर 12 करोड़ रुपए चाहिए।

विवाह परिवार की नींव रखता है

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ऐसा निर्देश दिया, जो कई पतियों को कही हद तक सुकून दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के सख्त प्रावधान महिलाओं की भलाई के लिए हैं न कि उनके पतियों को ‘दंडित करने या धमकाने के लिए। कानून पतियों से जबरन वसूली करने’ के लिए नहीं है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि हिंदू विवाह एक पवित्र प्रथा है, जो परिवार की नींव है, न कि कोई व्यावसायिक समझौता।

प्रावधान पतियों को दंडित करने के लिए

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खास तौर से वैवाहिक विवादों से संबंधित अधिकांश शिकायतों में रेप, धमकी और महिला से क्रूरता करने समेत भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं को लगाने के लिए शीर्ष अदालत ने कई मौकों पर फटकार लगई है। पीठ ने कहा, ‘महिलाओं को इस बात को लेकर सावधान रहने की जरूरत है कि उनके हाथों में कानून के ये सख्त प्रावधान उनकी भलाई के लिए हैं, न कि उनके पतियों को दंडित करने के लिए। ‘

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