नीतीश कुमार ने खुद को बताया गृहमंत्री, भाजपा विधायक ने कहा स्वास्थ्य जांच कराएं

पटना: नीतीश कुमार ने आज बिहार विधानसभा में बोलते हुए खुद को गृहमंत्री बोल डाला. नीतीश के इस बयान पर सियासी पारा गरमाया हुआ नजर आ रहा है. इस मामले में भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार के चारों और से चांडाल चौकड़ी से घिरे […]

Advertisement
नीतीश कुमार ने खुद को बताया गृहमंत्री, भाजपा विधायक ने कहा स्वास्थ्य जांच कराएं

Prince Singh

  • March 21, 2023 3:53 pm IST, Updated 2 years ago

पटना: नीतीश कुमार ने आज बिहार विधानसभा में बोलते हुए खुद को गृहमंत्री बोल डाला. नीतीश के इस बयान पर सियासी पारा गरमाया हुआ नजर आ रहा है. इस मामले में भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार के चारों और से चांडाल चौकड़ी से घिरे हुए रहते हैं, जिस कारण उनकी स्मरण शक्ति कमजोर पड़ चुकी है.

बचौल ने घेरा

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमलोगों की यह मांग है कि मुख्यमंत्री की स्वास्थ्य जांच कराई जानी चाहिए ताकि उनके स्वास्थ्य की सच्चाई सबके सामने आ सके. इसके साथ ही सदन की कार्रवाही से पहले बचौल ने कहा कि कल सदन की कार्रवाही के दौरान दो दफे मुख्यमंत्री जी ने खुद को गृह मंत्री बताया. नीतीश कुमार निश्चित रूप से विस्मरण के शिकार हो चुके हैं.

नीतीश को जांच करानी चाहिए

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को राज्य की हित के लिए अपनी स्वास्थ्य जांच करा लेनी चाहिए. ताकि उनकी चंडाल चौकड़ी उनसे कोई गलत काम ना करवा ले. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को सदन में अपने सवाल खोजने में कई मिनट लग जाते हैं. इसलिए बिहार की जनता के हित में उनको राजनीति से सन्यास ले लेनी चाहिए.

भाजपा का इलाज कर रहे हैं

बचौल की बातों का जवाब देते हुए राजद विधायक भाई विरेंद्र ने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव फिलहाल भाजपा के लोगों का इलाज कर रहे हैं. साल 2024 में उन्हें पूरी तरह से ठीक कर देंगे.

क्या कहा था नीतीश कुमार ने

सोमवार को बिहार विधानसभा सत्र में सोमवार को प्रशनकाल के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बोल दिया था कि अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे, तब वह देश के गृह मंत्री थे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गृहमंत्री रहते हुए उन्होंने खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में हिस्सा देने का फैसला लिया था. उनके फैसले के बाद से ही अन्य राज्यों ने खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने की कवायद शुरू की थी.

Advertisement