पटना: मुजफ्फरपुर में पहली बार किसी फिल्म की शूटिंग करने वाले अभिनेता विजय खरे का निधन हो गया है. इस घटना ने बिहार के कलाकारों और शहरवासियों को झकझोर कर रख दिया है. रविवार सुबह 4:00 बजे बेंगलुरु में उन्होंने अंतिम सांस ली. भोजपुरी फिल्म में चलता है नाम इस घटना ने कलाकारों को झकझोर […]
पटना: मुजफ्फरपुर में पहली बार किसी फिल्म की शूटिंग करने वाले अभिनेता विजय खरे का निधन हो गया है. इस घटना ने बिहार के कलाकारों और शहरवासियों को झकझोर कर रख दिया है. रविवार सुबह 4:00 बजे बेंगलुरु में उन्होंने अंतिम सांस ली.
इस घटना ने कलाकारों को झकझोर कर रख दिया है. रविवार सुबह 4:00 बजे बेंगलुरु में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर मिलते ही शोक संतप्त कलाकार उनके पैतृक आवास मालीघाट पहुंचने लगे. भोजपुरी फिल्म उद्योग में गब्बर सिंह अपने प्रतिष्ठित चित्रण के लिए अधिक मशहूर थे।
बता दें किविजय खरे पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और बेंगलुरु के कावेरी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। जानकारी के मुताबिक, वह किडनी की समस्या से पीड़ित थे जिसका इलाज चल रहा था। रविवार को उनकी हालत अचानक बिगड़ गई और रविवार सुबह 4:00 बजे बेंगलुरु में उनका निधन हो गया.
अभिनेता की मृत्यु से उनके प्रशंसक और फिल्म उद्योग सदमे में है। उनका एक बेटा संतोष खरे दिल्ली में और दूसरा बेटा आशुतोष खरे मुंबई में रहता है। दोनों बेंगलुरु पहुंच गए हैं. विजय खरे अपने छोटे बेटे पारितोष खरे के साथ बेंगलुरु में रहते थे।
मुजफ्फरपुर के मालीघाट के रहने वाले विजय खरे ने अपना जीवन मुंबई में बसाया, जहां उन्होंने एक एक्टिंग स्कूल, विजय खरे अकादमी की भी स्थापना की। वह अपना समय नई पीढ़ी को अभिनय सिखाने में बिताते थे।
विजय खरे ने रायजादा (1976), गंगा किनारे मोरा गांव (1983) और हमरा से बियाह करबा (2003) जैसी फिल्मों में अपने यादगार अभिनय से प्रसिद्धि हासिल की। उनके सशक्त अभिनय ने उन्हें भोजपुरी में एक स्थायी विरासत दिलाई।फिल्म इंडस्ट्री में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए 2019 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पुरस्कार समारोह के दौरान उन्होंने भोजपुरी सिनेमा के उभरते परिदृश्य पर चर्चा की और भोजपुरी सिनेमा की बढ़ती भागीदारी पर प्रकाश डाला।