पटना। हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। यह दिन कई मायनों से महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस जयंती के कई धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस बार गीता जयंती […]
पटना। हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। यह दिन कई मायनों से महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस जयंती के कई धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस बार गीता जयंती आज 11 दिसंबर बुधवार को मनाई जा रही है।
गीता जयंती के मौके पर प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। मंदिर की साफ-सफाई करनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए उनकी विधि-विधान से पूजा करना चाहिए। पूजा के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति पर चंदन, पुष्प अर्पित करना चाहिए। इसके बाद भगवान की मूर्ति के आगे दीप जलाएं। भगवद्गीता के ग्रंथ को चंदन और कुमकुम का टीका लगाकर पूजा करें।
इसके बाद गीता के श्लोकों का पाठ करें। गीता की आरती उतारें। शास्त्रों के मुताबिक गीता का नियमित पाठ करना चाहिए। इससे घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह ग्रंथ धर्म नीति, कर्म, सफलता, सुख और जीवन प्रबंधन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों से परिपूर्ण है। गीता का पाठ न केवल आत्मबल को बढ़ावा देता है, बल्कि व्यक्ति को हर परिस्थिति का सामना करने की क्षमता भी देता है।