पटना। बिहार के सिवान और भागलपुर में बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि दी और उन्हें अंतिम विदाई दी। सिवान में अपने पिता की अंतिम इच्छा को उनकी बेटियों ने पूरा किया। अपने पिता की अर्थी को कंधा भी दिया और उन्हें मुखाग्नि भी दी। पिता की मौत के बाद उनकी आत्मा को यह मलाल […]
पटना। बिहार के सिवान और भागलपुर में बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि दी और उन्हें अंतिम विदाई दी। सिवान में अपने पिता की अंतिम इच्छा को उनकी बेटियों ने पूरा किया। अपने पिता की अर्थी को कंधा भी दिया और उन्हें मुखाग्नि भी दी। पिता की मौत के बाद उनकी आत्मा को यह मलाल ना रहे कि उनकी अर्थी को मुखाग्नि देने के लिए कोई बेटा नहीं है।
इसके लिए बेटियों ने ही बेटे की भूमिका निभाई और विधि-विधान के साथ अपने पिता को विदाई दी। सीवान में अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए बेटियों ने पिता की अर्थी को अपने कंधे पर उठाया। शमशान घाट तक ले गई और उनकी अर्थी को मुखाग्नि दी। यह सब देखकर पूरा मुहल्ला रो पड़ा। हिंदू धर्म में मान्यता है कि बाप की चिता को मुखाग्नि बेटा ही देता है, पर जिनके बेटे नहीं होते उनकी चिता को भतीजा या फिर कोई व्यक्ति मुखाग्नि देता है, लेकिन, प्रखंड के मेरही की तीन बेटियों ने पिता की मौत के बाद अपने पिता की चिता को मुखाग्रनि दी।
ताकि उन्हें इस बात का मलाल न हो उनके पास कोई बेटा नहीं है। तीनों बेटियों बंटी कुमारी, बबली कुमारी, और तीसरी बेटी छोटी कुमारी ने अपने पिता को आखिरी विदाई दी। बता दें कि मेरही के निवासी रामाज्ञा यादव की अचानक से मौत हो गई। वह दिल्ली रहकर किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते है। बीते 10 नवंबर को गांव में पट्टीदारी में शादी समारोह होने के कारण दिल्ली से घर आये थे।
इसी बीच बुधवार की रात उनकी मौत हो गई। इसके बाद बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया, बल्कि मुखाग्नि देकर बेटे होने का फर्ज निभाया। इस मौके पर गांव वालों की आंखे नम हो गई और आंसू छलक पड़े।