पटना। भगवान शिव के अनुयायी हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत रखते हैं। यह व्रत माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर आयोजित किया जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की अराधना की जाती है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस साल प्रदोष व्रत 13 नवंबर को मनाया जाएगा।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस दिन उपवास करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। शिव परिवार की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत का पालन इसलिए भी किया जाता है क्योंकि इससे जीवन में सुख और समृद्धि का संचार होता है। 13 नवंबर को प्रदोष पूजा का शुभ मूहुर्त शाम 5 बजकर 28 मिनट से 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। जो कुल 2 घंटे 39 मिनट का है। इस दिन प्रदोष काल का सही समय इसी अवधि में है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करनी चाहिए। शिवलिंग को स्थापित करें। उस पर जल चढ़ाए। शिवलिंग पर जल अर्पित करें। मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा के आगे दीपक जलाएं। शिव-गौरी और गणेशजी की विधि-विधान के साथ पूजा करें। शिव परिवार की आरती उतारें। साथ ही संध्या पूजा की तैयारी करें। अगर संभव हो तो शाम को समय दोबार स्नान करने के बाद ही पूजा करें।
प्रदोष व्रत के लाभ
इसके बाद शिव मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करें। घर पर भी शिवलिंग स्थापित कर उसकी पूजा करें। शिवलिंग पर मदार, फल, बिल्वपत्र, फूल, चंदन और भांग अर्पित करें। शिवजी के मंत्रों का जाप करें। मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से प्रदोष काल में विधिपूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष पूजा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि के अवसर बनते हैं।