पटना। सूर्य उपासना व लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का चार दिन चलने वाला अनुष्ठान आज यानी 5 नवंबर से शुरू हो रहा है। धार्मिक विद्वानों की माने तो छठ पूजा की शुरूआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और इसकी समाप्ति कार्तिक शुक्ल को होती है। छठ महापर्व के पहले दिन को नहाय खाय के रूप में मनाया जाता है।
नहाय-खाय का दिन
नहाय खाय के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना के रुप में मनाया जाता है। इस दिन, खासकर कद्दू, चिउड़े, चावल, लौकी का प्रसाद, दाल और चटनी का सेवन किया जाता है। पंचमी को पूरे दिन खरना का व्रत रखने वाले महिलाएं शाम के समय गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन करती हैं। घर की सुख- समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति का यह पर्व सभी धर्म-जाति के लोग धूम-धाम से मनाते हैं।
साड़ी की दुकानों पर भीड़
बता दें कि छठ पूजा की शुरूआत को महाभारत काल के समय से देखा जा सकता हैं। षष्ठी देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को खुश करने के लिए भगवान सूर्य की पूजा और अराधना की जाती है। किसी भी नदी, पोखर या घाट के पानी में खड़े इस पूजा को किया जाता है। छठ को लेकर साड़ी की दुकानों के साथ साथ चूड़ी, लहठी की दुकानों पर भी महिलाओं की भीड़ को देखा जा सकता है। चूड़ी, लहठी दुकानदारों ने बताया कि जयपुरी लहठी के साथ साथ कामदार शीशे वाली चूड़ी की मांग महिलाओं में ज्यादा हैं।
छठ को लेकर खास व्यवस्था
छठ को लेकर खिरिया घाट, उतरवारी पोखरा, नगर के संतघाट, पथरी घाट, ऑफिसर्स क्लब कोईरी टोला घाट, दुर्गा मंदिर घाट, सागर पोखरा, स्टेशन चौक पोखरा, हरिवाटिका पोखरा पर बनने वाले पंडाल का कार्य लगभग समाप्त होने वाला है। सभी घाटों पर लाइटिंग और बैरिकेटिंग की व्यवस्था की जा रही है। सड़क से लेकर घाट को लाइटों और लड़ियों से सजाया जा रहा है। व्रतियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा घाटों पर आतिशबाजी न करने के निर्देश जारी किए गए है।