पटना। आज नवरात्रि का छठा दिन है। आज का दिन मां कत्यानी को समर्पित है। इस दिन मां कत्यानी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। यह रुप मां दुर्गा के नौ रूपों में से सबसे अलग रूप माना जाता है। माता कत्यानी को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने अपनी शक्ति को इकट्ठा करके असुरों से देवता को सुरक्षा दिलाने के लिए माता कात्यानी को प्रकट किया था।
भक्तों का कल्याण
मां कात्यानी असुरों को नाश करती है और अपने भक्तो के कल्याण करती है। देवी भगवती पुराण के मुताबिक जंगल में कत नाम के ऋषि निवास करते थे, ऋषि के बेटे का नाम कात्या था। कात्या के बेटे के जो बेटे हुऐ उसका नाम कात्यान रखा गया। कात्यान मां दुर्गा से वरदान मिला था कि उनके घर में दुर्गा के स्वरुप जन्म लेगा। उस समय असुर का आतंक बढ़ गया था। महिषासुर नाम के राक्षस ने देवताओ को हरा दिया। सभी देवता उससे परेशान हो गए और आकाश मार्ग द्वारा त्रिदेवों के पास गए।
पूजा का महत्व
अपनी रक्षा करने के लिए त्रिदेव से विनती की, तब त्रिदेव ने उन्होंने कात्यान ऋषि के घर में दुर्गा के रूप में पुत्री का जन्म हुआ, जिसे इनका नाम कात्यानी रखा गया है। कात्यानी माता की विधि-विधान पूजा करने से व्यक्ति का मस्तिक चक्र ठीक रहता है। इनके पूजन में एकाग्रता में वृद्धि होती है। मां की पूजा करने इससे व्यक्ति जल्द बिमार नहीं पड़ता है। मां कत्यानी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है। यदि शत्रुओं का भय हो तो मां कत्यानी को याद करना चाहिए।
गोधूली बेला में करें पूजा
मां कत्यानी का पूजन गोधूली बेला में करने से बहुत लाभ होता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां कत्यानी के पूजन में शहद का भोग लगाए। शहद का भोग लगाने से मां अपने भक्तो की सभी मनोकामना पूरी करती हैं। मां की विधि-विधान से पूजा की जानी चाहिए। जो व्यक्ति मां कात्यानी की सच्चे मन से पूजा करते है, वह धन्य- धान्य से परिपूर्ण होते हैं।