पटना। हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. आज देश भर में अनंत देव यानी श्री हरि विष्णु की पूजा की जाएगी। ऐसे में इस तिथि पर बप्पा की मूर्ति का विसर्जन करने का भी नियम है. भगवान गणेश की मूर्ति के विसर्जन के साथ ही गणेश उत्सव का समापन […]
पटना। हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. आज देश भर में अनंत देव यानी श्री हरि विष्णु की पूजा की जाएगी। ऐसे में इस तिथि पर बप्पा की मूर्ति का विसर्जन करने का भी नियम है. भगवान गणेश की मूर्ति के विसर्जन के साथ ही गणेश उत्सव का समापन हो जाता है.
इस दिन, भक्त 10 दिनों तक भगवान गणपति की पूजा अर्चना समाप्त करने के बाद उन्हें श्रद्धा भाव से विदाई देने के लिए उनकी मूर्ति का विसर्जन करते हैं और बप्पा से अगले वर्ष फिर से आने की प्रार्थना भी करते हैं। अनंत चतुर्दशी का दिन भगवान गणेश की पूजा और विसर्जन के अलावा भगवान विष्णु को भी समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना मन से करने वाले को ढेर सारा आशीर्वाद प्राप्त होता है.
महाभारत काल में जब पांडवों पर अनेक प्रकार की मुसीबतें आने लगीं और जुए में सब कुछ हार जाने के बाद उन्हें वन में जाना पड़ा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी। भगवान श्रीकृष्ण की सलाह मानकर पांडवों ने अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा।
इस व्रत के प्रभाव से पांडवों के कष्ट धीरे-धीरे दूर होने लगे। महाभारत युद्ध में पांडवों की बड़ी जीत हुई और उन्हें अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और कथा पढ़ने से बहुत शुभ फल मिलता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी तिथि सोमवार, 16 सितंबर 2024 को दोपहर 3:10 बजे शुरू होगी और अगले दिन, 17 सितंबर 2024 को सुबह 11:44 बजे समाप्त होगी.
पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा का शुभ समय 17 सितंबर को सुबह 10.43 बजे से 11.15 बजे तक रहेगा.
द्रिक पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की मूर्ति के विसर्जन का शुभ समय सुबह 9.10 बजे से दोपहर 1.47 बजे तक रहेगा.
अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने के बाद 14 गांठों वाला एक विशेष धागा हाथ में पहना जाता है। मान्यता है कि इस सूत्र को हाथ पर बांधने से भगवान विष्णु की कृपा से जीवन की सभी परेशानियां और बाधाएं दूर हो जाती हैं और हर काम में सफलता मिलती है। मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से अनंत सूत्र बांधने और व्रत-पूजन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।