पटना। इस समय महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में गणेश महोत्सव की धूम है। इसी धूम के बीच परिवर्तिनी एकादशी का भी त्योहार आ रहा है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तारीख को जलझूलनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार और भगवान गणेश जी की पूजा करने से सारे पापों का नाश होता है।
व्रत का शुभ मूर्हुत
मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ये व्रत 13 सितंबर या 14 सितंबर के दिन मनाया जाता है। इस बात को लेकर भी काफी कंफ्यूजन बनी हुई है। वैदिक पंचांग के मुताबिक भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 सितंबर सुबह 10:25 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 14 सितंबर सुबह 08:45 को होगा। हिंदू धर्म में व्रत-त्योहार को उदया तिथि के मुताबिक मनाया जाता है।
राहुलकाल में पूजा वर्जित
ऐसे भी परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पालन 14 सितंबर 2024, शनिवार के दिन किया जाएगा। एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के मुताबिक कुंडली में उपस्थित किसी ग्रह की स्थिति अशुभ अवस्था में है तो उसका प्रभाव भी समाप्त हो जाता है। ज्योतिष प्रदुमन सूरी के मुताबिक सालभर में आने वाली एकादशी चाहे कोई भी हो, इस दिन चावल खाने की मनाही होती है। इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखना होता है कि एकादशी में राहुकाल में पूजा करना वर्जित होता है।
व्रत के लाभ
इस बार परिवर्तिनी एकादशी गुरूवार के दिन है तो राहुकाल का समय 13:50 बजे से 15:25 तक रहेगा। महाभारतकाल में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा था कि जो लोग परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। उन्हें सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। व्रत से आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को दोष, भय और रोग आदि से छुटकारा मिलता है। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।