Friday, October 18, 2024

पटना में बनकर तैयार हुआ बापू टावर, गांधी की विरासत को मिलेगा बढ़ावा

पटना : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजधानी पटना शहर में एक नया स्मारक बनाया गया है। गर्दनीबाग इलाके में स्थित इस भव्य टावर का निर्माण किया गया है, जो गांधी जी को समर्पित है। यह बिहार की स्थापना और सांस्कृतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। बापू टावर के निर्माण की लागत 129 करोड़ रुपये है, जो महात्मा गांधी की विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश है।

7 एकड़ में बनकर हुआ तैयार

बता दें कि 7 एकड़ में इस टावर का निर्माण हुआ है. इसमें विभिन्न गैलरी, शोध केंद्र और विशिष्ट मेहमानों के लिए लाउंज व प्रशासनिक कार्यालय बनाया गया हैं, जो इसे एक शैक्षिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाते हैं। 120 फीट की ऊंचाई पर खड़ा और छह मंजिलों वाला यह विशाल टावर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। यह टावर न केवल एक वास्तुशिल्प चमत्कार है, बल्कि गांधी के जीवन और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और शांति, अहिंसा और सद्भावना के उनके सार्वभौमिक सिद्धांतों के कार्यान्वयन का केंद्र बिंदु भी है।

गांधी के जीवन से जुड़ी किस्सों को दिखाया गया

इतिहास के माध्यम से गांधी की एक विसर्जित यात्रा को भव्यता के साथ बनाया गया है, जिसमें गोलाकार और आयतकार इमारत बनाया गया है। जो आगंतुकों को गांधी के जीवन और विरासत के एक आकर्षक व्याख्या के माध्यम से मार्गदर्शन कर रही हैं। गांधी टॉवर पर्यटकों को ग्राउंड फ्लोर पर टर्नटेबल थिएटर शो के साथ एक अनूठा अनुभव देता है, जहां बापू की जीवनी जीवंत हो जाती है।

करीब 45 करोड़ रुपये हुए खर्च

टावर के अंदर गांधीजी और बिहार के इतिहास से जुड़ी एक प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसको बनाने में करीब 45 करोड़ रुपये खर्च हुए है। अहमदाबाद में डिजाइन की गई मूर्तियों और कलाकृतियों को दर्शाया गया है, जो प्रयटकों के अनुभव में गहराई और प्रामाणिकता देती है। इसके अतिरिक्त, टावर को बनाने में हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया गया है, जो पर्यावरण प्रबंधन और विकास के उच्च मानकों को दर्शाता है।

2018 से निर्माण कार्य हुए शुरू

बापू टॉवर का निर्माण 2 अक्टूबर 2018 को शुरू हुआ था, जिसे शुरुआती लक्ष्य से कई गुना बढ़ा दिया गया। अब टावर बनकर तैयार है। यह निश्चित रूप से आने वाले दिनों में गांधीवादी सिद्धांतों का प्रतीक और भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा।

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