पटना। लोक आस्था का महान पर्व छठ धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस मौके पर सूर्य देव और छठी मैया की विधि-विधान से पूजा की जाती है। यह व्रत संतान की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए किया जाता है। व्रती महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं। शाम होते ही घाट पर जाती है और डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य देती है।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं
छठ महापर्व के तीसरे दिन 07 नवंबर को, डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 08 नवंबर को छठ के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। छठ पूजा के तीसरे दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि होती है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस दिन यानी संध्य अर्घ्य को भक्तगण शाम के समय किसी घाट के किनारे खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
सभी ग्रहों का राजा सूर्य
इसके पीछे की मान्यता यह है कि सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं, और इस समय अर्घ्य अर्पित करने से जीवन की सभी परेशानी दूर हो जाती हैं। वहीं व्रती महिलाओं की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। ऐसा करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। भगवान सूर्य को देवताओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। ज्योतिष शास्त्र में भी सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और उसे विभिन्न रोगों से बचाव मिलता है।
नेत्र रोगों से राहत मिलती है
सूर्य देव के आशीर्वाद से व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य भरा रहता है। इसके साथ ही, जीवन की सभी कठिनाइयां भी दूर होती है। सूर्य की उपासना और अर्घ्य अर्पित करने से इच्छाएं पूर्ण होती हैं और नेत्र रोगों से भी राहत मिलती है।