पटना: छठ पूजा बिहार, यूपी, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए एक विशेष त्योहार है। अगर हम कहे बिहार की पहचान महापर्व छठ से होती है तो इसमें कोई दो राय नहीं है। इस त्यौहार का अपना एक अलग और विशेष महत्व भी है. हर साल दिवाली के छह दिन बाद इन राज्यों सहित देश के कोने-कोने में भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित छठ पूजा का चार दिवसीय महापर्व मनाया जाता है।
कब मनाया जाता है छठ पूजा?
यह महापर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को शुरू होता है और सप्तमी तिथि को समाप्त होता है। आपको बता दें, छठ पूजा बहुत ही कठिन व्रत है, क्योंकि इसमें श्रद्धालु 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं। ऐसे में अगर आप पहली बार छठ मना रहे हैं तो आपको इससे जुड़े इन खास नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए. अन्यथा आपको व्रत का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा। आइए अब जानते हैं छठ से जुड़े उन खास नियमों के बारे में।
डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का नियम
इस चार दिवसीय छठ पूजा में सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है। 36 घंटे के व्रत के दौरान डूबते सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद व्रत खोला जाता है और यह महापर्व समाप्त होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ व्रत खासतौर पर महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए रखती हैं। मान्यता है कि अगर माताएं सच्चे मन से यह व्रत रखती हैं तो छठी मैया उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
ये है छठ पूजा की तिथियां
इस महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. और 4 दिन बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इसका समापन होता है।
नहाय-खाय: 5 नवंबर 2024
खरना: 6 नवंबर 2024
संध्या सूर्य अर्घ्य: 7 नवंबर 2024
प्रातः सूर्य अर्घ्य: 8 नवंबर 2024
व्रत का पारण: 8 नवंबर 2024
जानें छठ पूजा से जुड़े नियम
नहाय-खाय के दिन घर की साफ-सफाई की जाती है. उस दिन परिवार के सभी सदस्यों को सात्विक भोजन करना चाहिए और साफ धुले हुए कपड़े पहनने चाहिए।
इस महापर्व में इस्तेमाल होने वाले प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाना शुभ माना जाता है. यह भी माना जाता है कि छठ का प्रसाद केवल उन्हीं को बनाना चाहिए जिन्होंने व्रत रखा हो। प्रसाद बनाते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
छठ व्रत करने वाली महिलाओं को इन चार दिनों में जमीन पर सोना चाहिए।