पटना। पितृपक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। इसे मृतक पूर्वजों को समर्पित करने के लिए महत्वपूर्ण अवधि माना जाता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व होता है। इस दौरान लोग अपने पितरों को खुश और संतुष्ट करने की कोशिश करते है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से होती है।
पितृपक्ष की शुरूआत
इस दिन उन पूर्वजों के सम्मान में श्राद्ध किया जाता है। मान्याता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्माएं धरती पर आती हैं। पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करने से जन्म कुंडली में पाए गए पितृ दोष से भी छुटकारा पाया मिलता है। इस साल पितृ पक्ष का शुरूआत कब से हो रही है इसे लेकर लोगों को कंफ्यूजन है। हिंदू पंचांग की माने तो पितृ पक्ष का शुरूआत 17 सितंबर से हो रही है, लेकिन इस दिन श्राद्ध नहीं किया जा सकता।
पितृपक्ष की समाप्ति
इस दिन भाद्रपद पूर्णिमा का श्राद्ध है और पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म के काम तिथि और समय के मुताबिक ही किए जाते है, इसलिए 17 तारीख को ऋषियों के नाम से जल का दान किया जायेगा। श्राद्ध पक्ष का आरंभ प्रतिपदा तिथि के अनुसार ही होता है। ऐसे में 18 सितंबर से पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोजन, दान आदि कामों की शुरूआत हो जाएगी। पितृ पक्ष का आरंभ देखा जाये तो 18 सितंबर से हो रहा है और इसकी समाप्ति 2 अक्टूबर को होगी।
मुहूर्त के मुताबिक करें श्राद्ध कर्म
शास्त्रों के मुताबिक पितृ पक्ष में सुबह और शाम के वक्त देवी- देवताओं की पूजा को शुभ बताया गया है। साथ ही पितरों की पूजा के लिए दोपहर का समय उत्तम होता है। वहीं पितरों की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय 11:30 से 12:30 बजे तक बताया जाता है, इसलिए आपको पंचांग में अभिजीत मुहूर्त देखने के बाद श्राद्ध कर्म करना चाहिए।