पटना। आज यानी 7 सितंबर शनिवार से देशभर में गणेश उत्सव की शुरुआत हो रही है। गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भगवान गणपति को समर्पित है। गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है और ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से सभी तरह के दुख और कष्ट हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं। गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर आइए जानते हैं शुभ तिथि, मूर्ति स्थापना, पूजा विधि से लेकर विसर्जन तक ।
गणपति के जन्मदिन के रूप में मनाते है पर्व
हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी के त्योहार का विशेष महत्व माना गया है। यह त्योहार भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार भगवान गणेश सभी तरह की बाधाओं को दूर करते हैं और नए काम की शुरुआत में शुभ फल देते हैं। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति की विधिवत स्थापना की जाती है और दस दिनों तक उनकी पूजा की जाती है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
आज गणेश चौठ
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3:01 बजे से शुरू होकर अगले दिन यानी 7 सितंबर को शाम 5:37 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष गणेश चतुर्थी आज 7 सितंबर, शनिवार से शुरू हो रही है। इस दिन गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाएगी और व्रत रखा जाएगा।
मूर्ति स्थापना के शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आज 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी पूजा और मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:15 बजे से दोपहर 1:43 बजे तक रहेगा। इस प्रकार गणेश चतुर्थी पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 2 घंटे 31 मिनट का रहेगा, इस दौरान भक्त गणपति बप्पा की पूजा कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी विसर्जन डेट
गणेश चतुर्थी का त्योहार 10 दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की मूर्ति के विसर्जन के साथ समाप्त होता है। त्योहार के आखिरी दिन को गणेश विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भक्त गणपति बप्पा को बड़ी धूमधाम से विदाई देते हैं और उनसे अगले साल फिर आने की प्रार्थना करते हैं। इस साल गणेश विसर्जन 17 सितंबर 2024, मंगलवार को किया जाएगा।
ये है पूजा विधि
गणपति पूजा में साफ और शांत जगह पर आसन बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मूर्ति को गंगाजल से शुद्ध करें। उसके बाद गणेश जी को रोली, चंदन और फूलों से सजाएं। उनकी सूंड पर सिंदूर लगाएं और दूर्वा चढ़ाएं। फिर घी का दीपक और धूप जलाएं। गणेश जी को मोदक और फल चढ़ाएं। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती और ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें और गणेश जी से अपनी मनोकामना मांगें।
व्रत के दौरान क्या खाएं
गणेश चतुर्थी व्रत के दिन साबूदाना खीर आदि मिठाई खानी चाहिए। दिन में एक बार फल खाना चाहिए। इस दिन दही और उबले आलू, खीरा भी खा सकते हैं। इस दिन सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करें। इस दिन कुट्टू के पराठे या रोटी भी खा सकते हैं। इस दिन व्रत खोलने के लिए सिंघाड़े के आटे से बना हलवा खा सकते हैं।
व्रत में इन चीजों को खाने से बचें
गणेश चतुर्थी व्रत के दिन लहसुन, प्याज, मूली, चुकंदर आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के दौरान केवल सेंधा नमक का ही प्रयोग करें, इस दिन सादा नमक या काला नमक का प्रयोग न करें। इस दिन किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन, शराब और किसी भी प्रकार का नशा करने से बचना चाहिए।
त्योहार पर करें ये काम
घर या पूजा स्थल पर गणेश जी की सुंदर मूर्ति स्थापित करें, उसे अच्छे से सजाएं और फिर पूरे विधि-विधान से उसकी पूजा करें।
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति को अपने घर के उत्तर-पूर्व कोने में विधि-विधान से स्थापित करें, इस दिशा में उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है।
भगवान गणेश को लाल रंग बहुत प्रिय है इसलिए उनकी पूजा में लाल रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें, जैसे गणपति बप्पा को लाल रंग के कपड़े के आसन पर बिठाएं और उन्हें लाल रंग के वस्त्र पहनाएं। गणपति जी की पूजा में लाल रंग के फूल, फल और लाल चंदन का प्रयोग अवश्य करें।
गणेश चतुर्थी पर इन कामों को करने से बचें
गणेश चतुर्थी के दिन भूलकर भी अपने घर में गणपति की अधूरी या खंडित मूर्ति स्थापित या पूजन न करें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
गणपति जी की पूजा में भूलकर भी तुलसी के पत्ते या केतकी के फूल का प्रयोग न करें। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से पूजा का फल नहीं मिलता है।
गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने वाले और पूजा करने वाले व्यक्ति को तन और मन से पवित्र रहते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।