पटना। हर वर्ष गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले चौरचन का त्योहार मनाया जाता है. इस पर्व को लोग भगवान चौठ यानी चंद्रमा का आशीर्वाद पाने के लिए करते हैं. माना गया है कि इस तिथि पर 12 घंटे निर्जला व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकना पूर्ण होती है।
इन राज्यों में मनाया जाता यह पर्व
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चौरचन का त्योहार मनाया जाता है. यह पर्व विशेष तौर पर बिहार, झारखंड, मिथिला और यूपी में मनाया जाता है. इस पर्व को हम चौरचन या चौथ चंद्र के नाम से भी जानते है. इस दिन महिलाएं भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा – आराधना करती हैं. माना जाता है कि इस व्रत को महिलाएं अपने पति के साथ-साथ अपने संतानों की लंबी उम्र की कामना के लिए रखती हैं.
ये है पूजा के शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक, चौरचन पूजा का शुभ मुहूर्त चतुर्थी तिथि को सूर्य अस्त होने के बाद होता है. इस पूजा की तिथि की शुरुआत आज 06 सितम्बर की दोपहर 03:01 बजे पर होगी और इसका समापन 07 सितम्बर की शाम 05:37 बजे पर होगी.
जानें पूजा करने की विधि
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करके पूजा का संकल्प लें। सुबह से लेकर शाम तक उपवास रखें. शाम के समय अपने घर के आंगन को गाय के गोबर से लिप लें. इसके बाद आप कच्चे चावल को पीसकर आंगन में चांद के आकार की रंगोली बनाएं फिर इस तरह से आंगन को अच्छे से सजाएं.
व्रत पर इन चीजों का लगाएं भोग
बता दें कि पूजा में तरह-तरह के मीठे पकवान बनाए जाते है। जैसे खीर, गुझिया, मिठाई और फल भगवान को भोग के रूप में चढ़ाएं. पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके रोहिणी नक्षत्र समेत चतुर्थी में चांद की पूजा करें. इस पूजा में दही का होना विशेष महत्व है. इसलिए इस व्रत में मिट्टी के बर्तन में दही जमाना शुभ माना जाता है. फिर इस दही को पूजा के समय उपयोग किया जाता है. इसके बाद बांस के चंगेरा या डाली में सभी प्रसाद को रखकर भगवान चंद्रमा का दर्शन करते है और सभी प्रसाद का भोग भगवान चंद्रदेव को लगाया जाता है.
चौरचन पर्व का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दौरान ही भगवान चंद्रमा पर आरोप लगा था. इसलिए इस तिथि पर जो भी भक्तजन भगवान गणपति के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा करते हैं. उन्हें चंद्र दोष से छुटकारा मिलता हैं. इस पर्व को महिलाएं अपने संतानों की लंबी आयु के साथ उनकी सुख समृद्धि और उज्जवल भविष्य के लिए करती हैं. इस दिन उपवास रखने से जीवन में सुख शान्ति बनी रहती है।