पटना : बिहार के अस्पतालों में कुत्ते के काटने और मलेरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या हर साल लगातार बढ़ रही है. सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज खुराक लेने वालों की संख्या बढ़ने के कारण अस्पतालों में दवाओं के लिए मिलने वाली राशि का 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सा एंटी रेबीज और मलेरिया पर खर्च हो रहा है.
शहरी इलाकों में अधिक मरीज
बिहार के ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में मलेरिया के मरीजों की संख्या अधिक बढ़ी है. हाल के दिनों में शहरों में साफ-सफाई की कमी के कारण हर मौसम में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इसी वजह से लोग मच्छरों से बचने के लिए कई उपाय करते हैं। इसके बावजूद 2018-19 में 0.6 फीसदी, 2019-20 में 0.7, 2020-21 में 1.2, 2021-22 में 1.2, 2022-23 में 13.4 और 2023-24 में 6.2 फीसदी लोग मलेरिया से पीड़ित हैं. इनमें से अधिकतर मरीज इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में गए हैं।
ये हैं मरीजों के आंकड़े
आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 में 7.9 फीसदी, 2019-20 में 11.4 फीसदी, 2020-21 में 16.5, 2021-22 में 18.6, 2022-23 में 61.2 और 2023-24 में 61.3 फीसदी लोगों को कुत्तों ने काटा. घायलों में ज्यादातर 15 से 30 साल के युवा हैं। जिन्हें एंटी रेबीज के लिए सरकारी या निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। पटना, बेगुसराय, मधेपुरा, भोजपुर, सीतामढी, जहानाबाद, समस्तीपुर, अरवल, गया, गोपालगंज, हाजीपुर में कुत्तों से लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं. वहीं, वैशाली समेत खगड़िया, बक्सर, पश्चिम पंचारण, अररिया, मुजफ्फरपुर और औरंगाबाद में भी इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है.