पटना। ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय का देवता कहा जाता है। सूर्य देव के पुत्र शनि देव कर्मों के फलदाता कहे जाते हैं। भगवान शनि देव की पूजा करने से जीवन की सारी परेशानी दूर हो जाती हैं। शनि देव की पूजा से अच्छे कर्मों का फल मिलता है और बुरे कर्मों के बुरे प्रभाव कम होते हैं। भगवान शनि देव की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते है।
पूजा विधि
सनातन धर्म में भगवान शनि की पूजा का अधिक महत्व है। शनिवार के दिन न्याय के देवता की पूजा करना शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य पुत्र की पूजा करने से व्यक्ति के भाग्य में सौभाग्य का प्रवेश होता है। ऐसे में सुबह उठकर स्नान करके सूरज उगने से पहले भगवान शनि की पूजा करनी चाहिए । इसके बाद सुबह पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं। फिर शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
पूजा के नियम
मंत्रों का जाप करें। इसके अलावा ‘दशरथकृत शनि स्तोत्र’ का पाठ कर आरती करें। ऐसा करने से शनि देव खुश होते हैं। साथ ही जीवन की समस्त बाधाओं को दूर करते हैं।
शनि देव की पूजा करने का सबसे उत्तम समय सूर्यउदय के पहले और सूर्यास्त के समय करनी चाहिए, क्योंकि सूर्यउदय के समय और सूर्यास्त के समय शनि का प्रभाव तेज रहता है।
शनिवार को पड़ने वाली अमास्या पूजा करने के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। शनिवार को पड़ने वाली अमास्या शनि की पूजा के लिए उत्तम मानी जाती है।
शनि देव की पूजा के दौरान कभी-कभी भगवान शनि देव की आंखों में सीधा नहीं देखना चाहिए। ध्यान देने वाली बात यह है कि जब शनि देव की पूजा करते समय आंखे बंद हो या फिर भगवान शनि देव की चरणों की तरफ हो।