Numerology : पीएम मोदी ने 18 अंक को क्यों कहा शुभ, जानें हिंदू धर्म में इसका महत्व

पटना : बीते दिन सोमवार, 24 जून को 18वीं लोकसभा में नए सांसदों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ. इस दौरान नई संसद भवन में नवनिर्वाचित सांसदों ने शपथ ग्रहण लिया. इस सत्र की शुरुआती में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मुद्दों पर अपना बात रखते हुए वेद-पुराणों और हिंदू धर्म का भी जिक्र किया. हिंदू […]

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Numerology : पीएम मोदी ने 18 अंक को क्यों कहा शुभ, जानें हिंदू धर्म में इसका महत्व

Shivangi Shandilya

  • June 25, 2024 12:02 pm IST, Updated 6 months ago

पटना : बीते दिन सोमवार, 24 जून को 18वीं लोकसभा में नए सांसदों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ. इस दौरान नई संसद भवन में नवनिर्वाचित सांसदों ने शपथ ग्रहण लिया. इस सत्र की शुरुआती में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मुद्दों पर अपना बात रखते हुए वेद-पुराणों और हिंदू धर्म का भी जिक्र किया.

हिंदू धर्म में 18 अंक अति शुभ

बता दें कि वैदिक ज्योतिष से लेकर हिंदू धर्म में 18 अंक को अति शुभ बताया गया है. वहीं इस अंक को ज्योतिष के मुताबिक 18 अंक का मूलांक 9 है, जिसे अति शक्तिशाली, गुरु से प्रभावित व मंगल ग्रह का अंक बताया जाता है. सत्र के दौरान पीएम मोदी ने 18वीं लोकसभा और 18 अंक के संयोग के महत्व के बारे में भी जिक्र किया. तो आइए जानते हैं पीएम मोदी ने 18 अंक के बारे में ऐसा क्या कहा, जो इतनी तेजी से वायरल हो रहा है।

पहले सत्र में पीएम मोदी ने बताएं 18 अंक के इतिहास

लोकसभा के पहले सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि 18वीं लोकसभा पर नए संकल्पों के साथ कार्यों की शुरुआत करें. उन्होंने 18 अंक को लेकर कहा कि, 18 अंक हमें कर्म, कर्तव्य और करुणा का संदेश देता है. हमारे पुराणों और लोकपुराणों का नंबर भी 18 है. इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में 18 साल में ही मताधिकार दिया जाता है. ऐसे में 18वीं लोकसभा का गठन भी एक शुभ संकेत है. यह लोकसभा भारत के अमृतकाल की लोकसभा होगी.

हिंदू धर्म में 18 अंक का महत्व

Mahabharat : हिंदू धर्म में 18 अंक का अपना एक अलग महत्व है. गीता और महाभारत जैसे धर्म ग्रंथों में 18 अध्याय हैं. महाभारत का युद्ध भी 18 दिनों तक चला था. सनातन धर्म में पुराणों का नंबर भी 18 है.

18 विद्याएं: हिंदू धर्म में छह वेदांग और चार वेद हैं. इसके साथ-साथ मीमांसा, न्यायशास्त्र, पुराण, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, आयुर्वेद, धनुर्वेद और गंधर्ववेद सभी को मिलाकर 18 तरह की विद्याएं हैं.

श्रीकृष्ण के 18 अंक: गीता में भी 18 अध्याय है, जिसका ज्ञान संपूर्ण जगत को श्री कृष्ण ने दिया था।

मां भगवती के रूप भी 18 हैं। इसके साथ मां भगवती की 18 भुजाएं भी हैं।

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