पटना। बिहार के चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप करीब 9 महीने के आज (शनिवार) को बेउर जेल से बाहर आ गए हैं। हजारों समर्थकों की भीड़ उनके स्वागत के लिए जुटी हुई थी। इस दौरान समर्थकों ने उन्हें माला पहनाकर, कंधे पर घुमाया। यही नहीं मनीष कश्यप से मिलने के लिए आए सैकड़ों समर्थकों की गाड़ियों का काफिला भी दिखाई दिया। जहां मनीष कश्यप को समर्थकों ने जेल के गेट से कंधे पर बैठा कर खुले जीप में बैठाया। इसके बाद मनीष कश्यप ने खुले जीप से सभी समर्थकों का अभिवादन किया। ऐसे में प्रशासनिक व्यवस्था भी चुस्त दुरुस्त दिखाई दी।
मनीष कश्यप के समर्थकों की लगी रही भीड़
यूट्यूबर मनीष कश्यप को आज बड़ी राहत मिली है। दरअसल, फर्जी न्यूज चलाने के मामले में बेउर जेल में बंद मनीष कश्यप को पटना हाई कोर्ट से गुरुवार को जमानत मिली थी। जिसके बाद आज दोपहर 12:00 बजे के करीब वो बेउर जेल से बाहर आए। जहां जेल के बाहर मनीष की एक झलक पाने के लिएहजारों की संख्या में समर्थक पहुंचे थे। यहां लोग हाथों में फूलों की माला लेकर मनीष कश्यप का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही वो जेल से बाहर आए उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। जेल गेट से बेउर मोड़ तक लगभग एक किलोमीटर तक समर्थकों का तांता लगा रहा। यही नहीं NH 30 भी जाम हो गया।
समर्थकों ने किया स्वागत
बता दें कि यूट्यूबर मनीष कश्यप के समर्थक शुक्रवार से ही बेउर जेल के बाहर उनके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। रात में काफी भीड़ थी जिसके कारण मनीष कश्यप को जेल से बाहर नहीं निकाला गया था। मनीष कश्यप के समर्थकों का कहना है कि जिस तरह भगवान राम वनवास काटकर बाहर आए थे और दिवाली मनाई गई थी उसी तरह आज हम लोग काफी उत्साहित हैं और हमारे लिए बिहार के श्री राम जेल से बाहर आ रहे हैं। उनके लिए हम लोग भी आज जश्न मनाएंगे। एक समर्थक ने ये भी कहा कि मनीष कश्यप को देशद्रोही कहा गया और हम लोग मानते हैं कि वह भगत सिंह वाले देशद्रोही हैं। जिन्होंने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए थे। लोगों ने कहा कि मनीष कश्यप मजदूर और पीड़ितों की आवाज हैं। यहां जो भीड़ है वह पैसे पर लाई गई भीड़ नहीं है बल्कि मनीष कश्यप का प्यार है कि सभी लोग यहां खिंचे चले आए हैं।
जानिए मामला
तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के साथ कथित फर्जी वीडियो को लेकर यूट्यूबर मनीष कश्यप के खिलाफ बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने FIR दर्ज किया था। छापेमारी शुरू होने पर मनीष बिहार छोड़कर भाग गया। उसकी तलाश में जगह-जगह छापेमारी की गई। 18 मार्च को दूसरे केस में बेतिया पुलिस ने मनीष के घर की कुर्की जब्ती शुरू की तो उसने स्थानीय थाने में आकर सरेंडर कर दिया। EOU की टीम ने उसे बाद में जेल भेज दिया। 30 मार्च को तमिलनाडु पुलिस उसे अपने साथ ले गई। तब से वह जेल में बंद थे।