पटना। गया में सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बातचीत के दौरान आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जनतंत्र में अलोकतांत्रिक व्यवहार नहीं होना चाहिए।
जनतंत्र में अलोकतांत्रिक व्यवहार नहीं होना चाहिए
बिहार के पूर्व कृषि मंत्री और आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह के दिए गए विवादित बयान पर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है। बता दें कि सोमवार को पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने सुधाकर सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जनतंत्र में अलोकतांत्रिक व्यवहार नहीं होना चाहिए। लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करना सबका अधिकार है। यहीं नहीं जीतन राम मांझी ने कहा कि पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह की दिमागी हालत ठीक नहीं है।
महात्मा गांधी ने लोकतांत्रिक तरीके से देश आजाद कराया
जीतन राम मांझी ने का कहना है कि महात्मा गांधी ने भी लोकतांत्रिक तरीके से देश को आजाद कराया था। उस वक्त किसी के मुंह पर थूकने की बात नहीं की गई थी। उस समय भी कई क्रांतियां हुईं थी। यह ओछी बात है। उन्होंने कहा कि हमे भी मालूम है कि नीतीश कुमार के राज में पदाधिकारी बेलगाम हो गए हैं। जब हम साथ में थे तो कहा करते थे कि यहां पदाधिकारी मंत्री या विधायक की बातों को नहीं सुनते हैं, सिर्फ आपकी (नीतीश कुमार) बातों को सुनते हैं। अब यही कारण है कि भ्रष्टाचार और घूसखोरी बढ़ी है। लोग असहाय महसूस कर रहे हैं। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि किसी के मुंह पर थूक दो या जूते का माला पहना दो।
गरीबों की जनसंख्या को कम आंका गया है
गया में सोमवार को बातचीत के दौरान जीतन राम मांझी ने जाति आधारित गणना को लेकर कहा कि हिंदुस्तान की शैक्षणिक स्थिति 80% है। वहीं एससी जाति में 28 से 30 प्रतिशत ही शिक्षित हैं। इसमें गरीबों की जनसंख्या को कम आंका गया है। उन्होंने कहा कि एससी को दो भागों में बांटा गया है। 1931 में जिसकी आबादी 5 से 8 प्रतिशत हो गई, लेकिन एससी जाति में पहले 3 प्रतिशत थी, आज भी 3 प्रतिशत ही है जबकि यह रिपोर्ट है कि अमीरों की तुलना में गरीबों की जनसंख्या ज्यादा बढ़ती है। एससी जाति में दुगुना या तीन गुना बढ़ोतरी होनी चाहिए थी। मांझी ने कहा कि वह समझते हैं कि अभी मुसलमान बीजेपी से डर रहे हैं और मेरे साथ चल रहे हैं, तो तुष्टिकरण के लिए उन्होंने मुसलमानों के साथ बैठक बुलाई है। अब अन्य किसी और जाति के साथ भी बैठक बुलाएंगे। जीतन राम मांझी ने बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से यह जवाब मांगा है कि आखिर जनगणना की रिपोर्ट जारी करने के लिए किसने कहा और यह क्यों जारी की गई?