Wednesday, September 25, 2024

बिहार: युद्ध में मारे गए लोगों का यूक्रेन की महिला ने किया पिंडदान, दिया शांति का संदेश

पटना। गया में चल रहे पितृपक्ष मेला में, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध मारे गये सैनिकों और नागरिकों की आत्मा की शांति तथा उनके मोक्ष के लिए यूक्रेन की एक महिला ने यहां एक मंदिर में ‘पिंडदान’ किया है। महिला ने बताया कि वह यहां शांति का संदेश फैलाने के लिए आई हैं।

यूक्रेन की महिला गया में कर रही पिंडदान

गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 28 सितंबर से शुरू हो चुका है। यह मेला 14 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान देश-विदेश से लाखों की संख्या में हिंदू सनातन धर्मावलंबी गया जी पहुंचे हुए हैं। ये मान्यता है कि पितरों को जल और तिल से पितृपक्ष में तर्पण किया जाता है। यहीं नहीं पितृपक्ष अवधि में गया जी धाम में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान एक दिलचस्प वाकया सामने आया है। बताया जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध में फरवरी 2022 से लेकर अब तक मारे गए सैनिकों और नागरिकों की आत्मा की शांति तथा उनके मोक्ष के लिए यूक्रेन की एक महिला ने गया के एक मंदिर में ‘पिंडदान’ किया।

‘दूसरा मौका है जब मैं पिंडदान करने आई हूं’

इस साल पितृ पक्ष की शुरूआत 29 सितंबर से हुई है। बता दें कि इसकी 16 दिनों की अवधि में हिंदू अपने पूर्वजों का श्राद्ध एवं तर्पण तथा पिंडदान करते हैं। वहीं यूक्रेनी महिला यूलिया ने संवाददाताओं से कहा कि यह दूसरा मौका है जब मैं पिंडदान करने आई हूं। यूलिया ने बताया कि मैं बीते साल भी इस पितृपक्ष दौरान अपने माता-पिता की आत्मा की शांति एवं मोक्ष के लिए यहां पर आई थी।

यूलिया सनातन धर्म में दृढ़ विश्वास रखती हैं

यूक्रेनी महिला यूलिया ने कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध निश्चित तौर पर समाप्त होना चाहिए। यूलिया ने बताया कि वह यहां शांति का संदेश फैलाने के लिए आई हैं। यूलिया ने इस्कॉन प्रचारक लोकनाथ गौड़ की मदद से पिंडदान किया है। इसे लेकर लोकनाथ गौड़ ने कहा कि यूलिया सनातन धर्म में दृढ़ विश्वास रखती हैं। उन्होंने गया और पितृ पक्ष के दौरान यहां पिंडदान करने के महत्व के बारे में बहुत अध्ययन किया है। बता दें कि गया में, यहां के विष्णुपद मंदिर में प्रतिवर्ष पितृ पक्ष मेले का आयोजन किया जाता है। हर वर्ष, दुनिया भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान करने के लिए मंदिर में आते हैं।

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