पटना। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव शनिवार को पटना में पर्यटन विभाग के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। कार्यक्रम के बाद तेजस्वी यादव ने यादवों की संख्या को लेकर चल रहे विवाद पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा चुनावी लाभ के लिए आंकड़ों में हेरफेर करने की होती तो मुख्यमंत्री की जाति की संख्या भी बढ़ा दी गई होती।
तेजस्वी यादव पर है यह आरोप
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर बीजेपी और उनके सहयोगियों द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों में राजद की संभावनाओं को ध्यान में रखकर हेरफेर किया गया है। अब शनिवार को तेजस्वी यादव ने इस आरोप को खारिज करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है। तेजस्वी ने कहा कि 1931 की जनगणना के अनुसार भी उनकी जाति सबसे अधिक आबादी वाली थी, और उन्होंने भाजपा से कहा कि अगर वह राज्य सरकार की कवायद से प्रसन्न नहीं है तो देशव्यापी जाति जनगणना की मांग पर ध्यान दें।
क्या बोले तेजस्वी यादव
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि वर्ष 1931 में जब ओडिशा और झारखंड भी बिहार का हिस्सा थे, तब यादव कुल, आबादी का 11 प्रतिशत थे। आज लगभग एक सदी बाद, यह आंकड़ा 14 प्रतिशत है। इसमें इतना अनियमित क्या है उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार की मंशा चुनावी लाभ के लिए आंकड़ों में हेरफेर करने की होती तो मुख्यमंत्री की जाति की संख्या भी बढ़ा दी गई होती।
वैध सबूत के साथ आना चाहिए – सुनील कुमार
जाति आधारित सर्वेक्षण रिपोर्ट को लेकर तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं साथ ही उसमें कई प्रकार की त्रुटियां भी देखी जा रही हैं। । ऐसे में बिहार के मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने बुधवार को पटना में बातचीत के दौरान यह बयान दिया था कि जिन लोगों को चिंता है, उन्हें वैध सबूत के साथ आना चाहिए और बिहार सरकार उस पर गौर करेगी। उन्होंने कहा कि जाति आधारित सर्वे निष्पक्ष तरीके से किया गया और अधिकारियों ने इसमें हर पहलू को ध्यान में रखा है।