पटना। इस समय देश में सांसद मनोज झा द्वारा सुनाई गई कविता पर विवाद चल रहा है। इसे लेकर पिछले 72 घंटों से मनोज झा को कॉल्स आ रहे हैं। इस पर शनिवार को उन्होंने अपना बयान जारी किया है।
72 घंटों से आ रही हैं कॉल
RJD सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में महिला आरक्षण के मुद्दे पर अपनी बात रखने के दौरान एक कविता सुनाई थी। इस कविता को लेकर पूरे देश में विवाद चल रहा है। वहीं इन सब घमासान के बीच सांसद मनोज झा सामने आए हैं और उन्होंने अपना बयान जारी किया है। सांसद मनोज झा ने कहा कि उस कविता का संदर्भ महिला आरक्षण था। मैं देख रहा हूं कि उसके बाद लोग मुझे अंट-शंट टेलीफोन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के कॉल मुझे पिछले 72 घंटों से आ रहे हैं। इसको लेकर पार्टी ने भी स्पष्ट कर दिया है। मेरी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी खुलकर सारी बाते सामने रख दी हैं। अब इसके बाद भी अगर यह विवाद बढ़ता है तो इसके पीछे कुछ ऐसे तत्त्व हैं जिनको दलित समाज की चिंता से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
किसी जाति विशेष से संबंधित नहीं
सांसद मनोज झा ने कहा कि वह कविता ओमप्रकाश वाल्मिकी द्वारा लिखी गई थी। वह एक दलित बहुजन चिंतक थे। उस कविता को पढ़ने से पहले ही मैंने कहा था कि यह किसी जाति विशेष से संबंधित नहीं है। मैंने कहा कि वो ठाकुर मेरे अंदर भी हो सकता है, वो प्रभुत्व का प्रतिक है। वह किसी भी जाति का हो सकता है। फिर मैंने वह कविता पढ़ी उस कविता का संदर्भ था महिला आरक्षण बिल में पिछड़ों को शामिल करना। मनोज झा ने बताया कि इसके बाद कुछ प्रतिक्रियाएं हुई जिसपर मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
मनोज झा के इस बयान पर चल रहा है विवाद
बता दें कि सदन में महिला आरक्षण बिल पर अपनी बात रखने के दौरान सांसद मनोज झा ने ओमप्रकाश वाल्मिकी द्वारा लिखी गई कविता ‘ ठाकुर का कुआं’ पढ़ी थी जिसपर विवाद चल रहा है। यहीं नहीं आरजेडी विधायक चेतन आनंद के पिता आनंद मोहन ने मनोझ झा की जिह्वा खींच लेने की बात तक कह दी है। इसके अलावा जेडीयू और बीजेपी के नेताओं ने भी इस बयान को लेकर मनोज झा का विरोध शुरु कर दिया है और आरजेडी को निशाने पर साधा है।