पटना। सुप्रीम कोर्ट आज पटना उच्च न्यायालय के बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा।
केंद्र सरकार ने हलफनामा वापस ले लिया था
शीर्ष अदालत की वेबसाइट अनुसार न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ मामले की सुनवाई जारी रखेगी। पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने अपना हलफनामा वापस ले लिया था, जिसमें कहा गया कि उसके अलावा जनगणना जैसी प्रक्रिया करने का हकदार कोई और नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्रालय में रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा दायर नए हलफनामे में यह कहते हुए पैराग्राफ को वापस ले लिया गया कि संविधान के तहत या अन्यथा कोई अन्य निकाय जनगणना या जनगणना के समान कोई और कार्रवाई करने का हकदार नहीं है। पिछली सुनवाई में जब केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वह संवैधानिक और कानूनी स्थिति को रिकॉर्ड पर रखना चाहते हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह की अनुमति दी थी।
शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ताओं की दलीलें
शीर्ष अदालत के सामने याचिकाकर्ताओं ने यह दलीलें दी थी कि सर्वेक्षण प्रक्रिया गोपनीयता के कानून का उल्लंघन करती है और केवल केंद्र सरकार के पास ही भारत में जनगणना करने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के पास जाति आधारित जनगणना के संचालन पर निर्णय लेने और उसे अधिसूचित करने का कोई अधिकार नहीं है। शीर्ष अदालत ने सर्वेक्षण प्रक्रिया या सर्वेक्षण के परिणामों के प्रकाशन पर रोक लगाने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था, हालांकि यह तर्क दिया गया था कि डेटा के प्रकाशन के बाद मामला व्यर्थ ही हो जाएगा।
ट्रांसजेंडर समुदाय ‘लिंग’ की बजाय ‘जाति’
नीतीश कुमार की राज्य सरकार ने कहा है कि बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और जल्दी ही परिणाम सार्वजनिक हो जाऐंग। राज्य की जाति सर्वेक्षण प्रक्रिया में ट्रांसजेंडर समुदाय को ‘लिंग’ की श्रेणी के बजाय ‘जाति’ के रूप में वर्गीकृत करने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत के सामने एक और याचिका दायर की गई है।