पटना। बिहार में जातिगत जनगणना पर आज फैसला सुनाया गया है। पटना हाई कोर्ट द्वारा फैसला सुनाते हुए जातिगत जनगणना पर से रोक हटा दी गई है। पटना उच्च न्यायलय के फैसले से जदयू और राजद खेमे में ख़ुशी है। सत्तारूढ़ दल बीजेपी पर इसे लेकर हमलावर हो गये हैं। मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि भाजपा एक्सपोज हो गई है जबकि बिहार सरकार की नीति और नीयत की जीत हुई है।
बीजेपी ने डाला बाधा
मंत्री विजय चौधरी ने हाईकोर्ट के फैसले को स्वागत योग्य बताते हुए समाज के लिए प्रगतिशील बताया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से पता चलेगा कि समाज में कमजोर वर्ग की कितनी संख्या है। इससे सरकार को उनके लिए विकास की योजना बनाने में मदद मिलेगी। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने जातिगत जनगणना में बाधा डालने का काम किया।
जानिए अब तक क्या-क्या हुआ
बता दें कि बिहार में 7 जनवरी से जातिगत जनगणना की शुरुआत हुई थी। 15 अप्रैल से दूसरे चरण की शुरुआत हुई थी। 21 अप्रैल को मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा जहां एससी ने हाईकोर्ट जाने को कहा। 2 और 3 मई को सुनवाई के बाद इस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके बाद हाईकोर्ट ने 4 मई को गणना पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को सुनवाई की अगली तारीख रखी। जिसमें बिहार सरकार की तरफ से जल्द सुनवाई की अपील की गयी। हाई कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया।
पहले भी हुई थी जातिगत गणना
11 मई को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया। 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को हाईकोर्ट जाने को कहा। 3 और 4 जुलाई को हाई कोर्ट में बहस हुई, जिसमें फैसला सुरक्षित रख लिया गया और आज सारी याचिकाएं खारिज करते हुए जनगणना कराने की मंजूरी दे दी गयी है। बता दें कि देश में सबसे पहले जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी। 1941 में इसका डेटा एकत्रित कर लिया गया था लेकिन इसे सार्वजानिक नहीं किया गया।