पटना। अपने विवादित बयानों की वजह से अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव एक बार फिर से चर्चा में हैं। दरअसल इस बार शिक्षा मंत्री ने अपर मुख्य सचिव केके पाठक से टक्कर ले ली है। शिक्षा विभाग में जारी जंग के बीच राजद और जदयू में भी तल्खी देखने को मिल रही है। इस विवाद को खत्म करने के लिए आज सीएम नीतीश ने अपने घर पर आपात बैठक बुलाई थी। जिसमें चंद्रशेखर यादव और अपर मुख्य सचिव केके पाठक दोनों शामिल रहे। इसके आलावा जदयू अध्यक्ष ललन सिंह, वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी व मंत्री वीजेंद्र यादव भी सीएम आवास पर मौजूद रहे।
मैं बड़ा या अपर सचिव?
इससे पहले आज चंद्रशेखर यादव सुबह सुबह राजद प्रमुख लालू यादव से मिलने उनके आवास पहुंचे थे। जहां उन्होंने कहा कि यह मामला कुछ भी नहीं है। आप लोग ही बताइए कि संविधान में कौन बड़ा है? मंत्री या अपर मुख्य सचिव? चीजों को देखने समझने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। वहीं बीजेपी अगर आरोप लगा रही है तो उसका काम ही है आरोप लगाना।
विभाग ने मांगा प्रमाण
मालूम हो कि पिछले 30 घंटे में अब तक तीन पत्र जारी हो चुके हैं। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के निजी सचिव कृष्णा नंद यादव घिरते नजर आ रहे हैं। बुधवार की रात में निदेशक प्रशासन ने कृष्णा नंद यादव को पत्र जारी करते हुए शिक्षा विभाग में प्रवेश पर रोक लगाते हुए अपने नाम के साथ डॉक्टर लिखने का प्रमाण मांगा है।
जानिए क्या है मामला
बता दें कि केके पाठक अपनी कड़क छवि के लिए जाने जाते हैं। अभी एक महीने पहले ही वो शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बनाए गए हैं। इनके द्वारा दिए गए आदेशों से विभाग में हड़कंप मच गया है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने इसी बीच केके पाठक को हड़काते हुए एक लेटर जारी किया है। इसके बाद जदयू और राजद भी आमने-सामने आ गई है।
कान पकड़कर बाहर निकालो
राजद प्रवक्ता भाई वीरन्द्र ने कहा है कि केके पाठक होश में रहकर काम नहीं करते हैं। उन्हें कान पकड़कर बाहर निकाल देना चाहिए। वहीं जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि के के पाठक अच्छा काम कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग में काफी सुधार किया है। मालूम हो कि चंदशेखर यादव ने पत्र के जरिए यह आरोप लगाया है कि केके पाठक राज्य सरकार के नियमों के मुताबिक काम नहीं करते हैं।