पटना: आज बिहार दिवस है. बिहार को बने आज 111 साल हो चुके हैं. इस मौके पर एक ओर जहां बिहार के इतिहास, बिहार की संस्कृति और इसकी विरासत की झांकियां निकल रही हैं, वहीं दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में आज भी स्कूल आने- जाने के लिए बच्चों को 14 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती है.
दूरी की वजह से पढ़ना छोड़ रहे छात्र
मुख्यमंत्री के गृह जिले के बेलछी गांव में स्कूल जाने के लिए छात्र-छात्राओं को 7 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. यानी जाने और आने के दौरान पूरे 14 किलोमीटर की दूरी. बेलछी गांव नालंदा के हरनौत प्रखंड और चंडी प्रखंड के बीच स्थित है. यहां सर गणेश दत्त स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को आठवीं कक्षा के बाद पढ़ने के लिए उच्च शिक्षा विद्यालय में जाना पड़ता है, जिस कारण से बच्चों को कुल 14 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.
हर साल 100 से 150 छात्र पासआउट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस गांव की एक छात्रा बताती हैं ” इस स्कूल से हर साल करीब 100 से 150 छात्र-छात्राएं पास होते हैं. पासआउट होने के बाद से बच्चों की सबसे बड़ी समस्या होती है कि अब पढ़ा जाए या नहीं, क्योंकि बेलछी से हरनौत की दूरी करीब 7 किलोमीटर होने के कारण उन्हें स्कूल आने और जाने में थकान होने के साथ-साथ उनका काफी वक्त भी बर्बाद होता है”. इस मामले में गांव के एक शख्स बताते हैं” जब मुख्यमंत्री पूरे बिहार में समाधान यात्रा कर रहे थे, तब उन्होंने यह मुद्दा उनके सामने रखा था, लेकिन उसका कोई असर देखने को नहीं मिला.”
शिक्षा से वंचित रह जाते हैं विद्यार्थी
बिहार राज्य बनने के 111 साल होने के बावजूद आज भी मुख्यमंत्री के गृह जिले के एक गांव में सौकड़ों बच्चे बस इस वजह से शिक्षा से वंचित रह जाते हैं क्योंकि उनके गांव में उच्च विद्यालय को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई है. पढ़ने की लालसा होने के बावजूद भी अत्यधिक दूरी के कारण बच्चे उस स्कूल में नहीं पहुंच पाते हैं, जिस स्कूल पर लिखा है ” सर्व शिक्षा अभियान.” ” सब पढ़ें, सब बढ़ें”.