लखनऊ: Swami Prasad Maurya: उत्तर प्रदेश में रामचरित मानस पर छिड़ा विवाद तो मानों थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. सपा के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद से प्रदेश की राजनीति गर्माई हुई है. वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य भी अपने विवादित बयान को लेकर लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर बयान दिया है, जिसे प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी मानसिकता के लोग भी हैं, जो महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदायों के साथ दुर्व्यवहार और उत्पीड़न को अपना धर्म मानते हैं. साथ ही भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि बीजेपी के लोग नफरत फैलाने वालों का समर्थन कर रहे हैं. इससे उनकी मंशा साफ तौर पर जाहिर होती है. साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा अब पूरी तरह से एक्सपोज हो चुकी है.
पोस्टर लगाने पर क्या है हर्ज
समाजवादी पार्टी द्वारा जारी किए गए शूद्र वाले पोस्टर पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान सामने आया है उन्होंने कहा कि जब भाजपा के लोग हमें शूद्र बताने में लगे ही हैं तो फिर पोस्टर लगाने में क्या हर्ज है. साथ ही उन्होंने ओमप्रकाश राजभर के बारे में बोलते हुए कहा कि ओमप्रकाश राजभर सत्ता के लिए कहां-कहां गए हैं यह किसी से छुपा नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति के सवालों का जवाब देना मैं उचित नहीं समझता.
दलितों वंचितों को लिए करता रहूंगा आंदोलन
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार ये बोलते हुए आए हैं कि मैं दलितों के साथ हूं. आज भी उन्होंने कहा कि जब तक देश में दलितों, पिछड़ों, महिला, गरीब और वंचित वर्ग को सताया जाएगा, तब तक मेरा ये आंदोलन जारी रहेगा. समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल यादव ने रामचरितमानस पर दिए गए स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को स्वामी प्रसाद मौर्य का व्यक्तिगत बयान बताया है. बनारस में शिवपाल सिंह यादव ने मुद्दे पर कहा कि हम सभी धार्मिक ग्रंथों का सम्मान करते हैं. साथ ही उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी मुद्दों से भटकाती रहती है. भाजपा के लोग देश को बांटने की राजनीति करते हैं.
धर्माचार्यों पर भी बोला हमला
स्वामी प्रसाद मौर्य ने सवाल पूछते हुए कहा कि देश में दलितों, पिछड़ों, महिलाओं और आदिवासियों के सम्मान की बात करने से धर्म के ठेकेदारों को मिर्ची क्यों लगती है, आखिर ये वर्ग भी तो हिन्दू ही है. साथ ही उन्होंने कहा कि क्या अपमानित करने वाले 3 फीसदी धर्माचार्यों की भावनाएं अपमानित होने वाले 97 फीसदी हिन्दुओं की भावनाओं से ज्यादा मायने रखती हैं.